नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई हुई. यहां मांग की गई कि शीर्ष अदालत सहित देश की अन्य सभी अदालतों में पहले की तरह फिजिकल सुनवाई आरंभ की जाए. हालांकि, अभी प्रधान न्यायाधीश की ओर से कहा गया है कि इसपर फैसला मेडिकल एक्सपर्ट्स की सलाह के बाद ही लिया जाएगा.
कोर्ट में वकील नीलाक्षी चौधरी ने कहा कि केवल ऑनलाइन सुनवाई से हर किसी को सुविधा नहीं मिल पाती है, ये असंवैधानिक भी है. मामले की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश शरद अरविन्द बोबड़े ने कहा कि अभी सही वक्त नहीं है, हम पिछले एक साल से यही स्थिति में काम कर रहे हैं. मेडिकल एक्सपर्ट्स के द्वारा जो ताजा सलाह दी गई है, उसके अनुसार ओपन कोर्ट से कोरोना फैलने का संकट है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मद्रास, राजस्थान, दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिजिकल हियरिंग की शुरुआत की थी, किन्तु वकील ही नहीं आए थे.
इसी याचिका में एक और गुजारिश की गई, जिसमें वकीलों और अन्य बार मेंबर्स को आर्थिक सहायता देने की बात कही गई. अदालत की तरफ से इस पर कहा गया कि बार एसोसिएशन को सभी वकीलों और अन्य लोगों की आर्थिक सहायता करनी चाहिए. फंड का इस्तेमाल केवल इसीलिए करना चाहिए. अब शीर्ष अदालत ने इस मामले में सॉलिटर जनरल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया को कहा है कि वो वकीलों से चर्चा कर आर्थिक मदद के मुद्दे पर बात करें.
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