नई दिल्ली: प्रवासी मजदूरों के पलायन का मामला शीर्ष अदालत पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर भारत भर में स्थानीय प्रशासन/ पुलिस अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे फंसे हुए प्रवासी मजदूरों व कामगारों को तत्काल चिन्हित करें और उन्हें उचित भोजन, पानी, दवाइयों और चिकित्सा निगरानी उपलब्ध कराए। इसके साथ ही याचिका में लॉकडाउन जारी रहने तक पास एक सरकारी आश्रय गृहों में इन्हें शरण देने की मांग की गई है।
मामले के याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने केंद्र सरकार से हजारों प्रवासी मजदूर परिवारों-महिलाओं, छोटे बच्चों, बड़ों और दिव्यांग आदि हजारों लोगों को पैदल यात्रा के दौरान हो रही अमानवीय दुर्दशा को दूर करने का अनुरोध किया है। ये लोग कोरोनोवायरस संकट के बीच भोजन, पानी, परिवहन, चिकित्सा या आश्रय के बगैर पैदल ही सैकड़ों किमी चलकर घर जाने को मजबूर हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को 30 मार्च को देखने की संभावना है।
याचिका में कहा गया है कि, "घातक कोरोनावायरस के प्रसार को काबू करने के लिए इस तरह के लॉकडाउन बहुत जरुरी हैं. इस संकट की स्थिति के सबसे बड़े भुक्तभोगी गरीब, अपंजीकृत प्रवासी मजदूर हैं, जो भारत के अलग अलग बड़े शहरों में रिक्शा-चालक, कूड़ा उठाने वाले, निर्माण कार्य में लगे, कारखाने में काम करने वाले, अकुशल और अर्ध-कुशल श्रमिक आदि हैं।"
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