काशी के बाद अब मथुरा का मुद्दा गरमाया, शाही ईदगाह में सर्वे और वीडियोग्राफ़ी के लिए अदालत में प्रार्थना-पत्र दाखिल
काशी के बाद अब मथुरा का मुद्दा गरमाया, शाही ईदगाह में सर्वे और वीडियोग्राफ़ी के लिए अदालत में प्रार्थना-पत्र दाखिल
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लखनऊ: काशी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के बाद अब मथुरा स्थित शाही ईदगाह विवादित ढाँचे में वीडियोग्राफ़ी और सर्वे के लिए अदालत में प्रार्थना-पत्र दाखिल कर दिया गया है। इस प्रार्थना पत्र के साथ-साथ काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थिर ज्ञानवापी विवादित ढाँचे में अदालत द्वारा नियुक्त एडवोकेट जनरल की निगरानी में जारी सर्वे और वीडियोग्राफ़ी के विवरण भी सौंपे गए हैं। कहा गया है कि इसी तर्ज पर यहाँ भी एडवोकेट जनरल नियुक्त करते हुए सर्वे की प्रक्रिया पूरी की जाए।

ये प्रार्थना-पत्र अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ने दाखिल किया है। उन्होंने कहा है कि शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का अवलोकन कर के कमल, शंख, गदा, ॐ और स्वास्तिक जैसे हिन्दू प्रतीक-चिह्नों के प्रमाण कोर्ट के सामने पेश किए जाएँ। इस मामले की सुनवाई मंगलवार (10 मई, 2022) को की जाएगी। इससे पहले भी वकील महेंद्र प्रताप कोर्ट के समक्ष इस प्रकार की माँग रख चुके हैं। दिसंबर 2021 में मथुरा में एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में माँग की गई थी कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में मौजूद शाही ईदगाह मस्जिद में नमाज पढ़ने पर रोक लगाई जाए। ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति’ ने ये याचिका लगाई थी। वकील महेंद्र प्रताप इस संगठन के प्रमुख हैं, जिनका कहना है कि ईदगाह में नमाज नहीं पढ़ी जाती थी, मगर यहाँ जानबूझ कर पाँच समय नमाज पढ़ना शुरू कर दिया गया है। उन्होंने इसे हिन्दुओं की संपत्ति बताया था।

वहीं, ‘शाही ईदगाह मस्जिद इंतजामियाँ कमिटी’ का कहना है कि जिस 13.37 एकड़ जमीन पर हिन्दू पक्ष दावा कर रहा है, उससे संबंधित कोई भी डाक्यूमेंट्स कोर्ट में पेश नहीं किए गए हैं। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि ये वाद सुने जाने योग्य नहीं है। अब सभी की निगाहें कल होने वाली सुनवाई पर जमी हुईं हैं। मथुरा मामले में 19 मई को स्थानीय कोर्ट का बड़ा फैसला भी आ सकता है। वकील रंजना अग्निहोत्री ने औरंगजेब द्वारा बनवाई गई शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की माँग की थी।

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