'निवस्त्र किए बिना स्तन छूना यौन हमला नहीं...' बॉम्बे HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
'निवस्त्र किए बिना स्तन छूना यौन हमला नहीं...' बॉम्बे HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
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नई दिल्ली: यूथ बार एसोसिएशन ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा है कि किसी नाबालिग के स्तन को बिना 'स्किन टू स्किन' कॉन्टैक्ट के छूना POCSO एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा. बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच ने कहा था कि सिर्फ नाबालिग का सीना छूना यौन हमला नहीं कहलाएगा. 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि यौन हमला तब कहलाएगा, जब आरोपी पीड़ित के कपड़े हटाकर या कपड़ों में हाथ डालकर शारीरिक संपर्क करे. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR ) ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के एक फैसले पर आपत्ति जताई थी. बता दें कि यह मामला 2016 का है. दोषी सतीश बंदू रागड़े 12 साल की बच्ची को अपने घर ले गया था और उसने बच्ची का स्तन दबाया. जब बच्ची घर नहीं लौटी तो उसकी मां उसे खोजने के लिए निकली. मां ने बच्ची को रागड़े के घर पाया.

बाद में बच्ची ने मां को बताया कि रागड़े उसे अमरूद देने की बात कहकर अपने घर ले गया था और उसने उसकी ब्रेस्ट दबाया. बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पुष्पा गनेड़ीवाला की एकल बेंच ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को POCSO अधिनियम की धारा-8 के तहत बरी कर दिया गया, जिसमें उसे तीन वर्ष की न्यूनतम सजा मिल सकती थी. 

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