गयाधाम की इन वेदियों पर होता है पिंडदान, यहाँ जानिए महत्व
गयाधाम की इन वेदियों पर होता है पिंडदान, यहाँ जानिए महत्व
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आप सभी जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है और अगर आप पितृपक्ष में पिंडदान करने गया जा रहे हैं, तो आप सभी को यह भी बता दें कि यहां 360 वेदियों पर पिंडदान होता हैं वही गया महात्म्य में 360 वेदियों का जिक्र भी हैं. इसी के साथ सालों पहले विष्णुनगरी की 360 वेदियों पर पिंडदान होता था. इसी के साथ अतिक्रमण और अन्य कारणों से पिंडवेदियां भी विलुप्त हो गई और अब स्थिति हैं कि अब यहां मात्र 54 वेदियां ही बची हैं इनमें से उत्तर में पांच मध्य में 45 और चार वेदियां दक्षिण दिशा में अवस्थित हैं वही 54 वेदियों में 45 पर पिंडदान और नौ में तर्पण होता हैं.

कहा जाता है कपिलधारा, ब्रह्मयोनि, तारक ब्रह्म, सावित्री कुंड, सरस्वती सरोवर, गदालोल तालाब, घृतकुलपा, मधु कुलपा, पुण्डरीकाक्ष आदि वेदियों पर करीब चालीसा साल पहले तक पिंडदान होता था लेकिन तालाब समतल हो गए और उनपर मकान बन गए हैं. वहीं प्रशासनिक अनदेखी के कारण गया के ये वेदियां अब इतिहास बन गई हैं, जो वेदियां बची हैं उसपर विशेष ध्यान नहीं हैं वही हृदय योजना के कई वेदियों की सूरत बदली हैं.

इसी के साथ वही गयाधाम वेदियों पर अभी पिंडदान होता हैं उनमें प्रमुख नाम हैं फल्गु, जिह्वालोल, विष्णुचरण, विष्णुपद मंदिर में स्थित सोलह वेदी, प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, रामशिला, रामकुंड, सीताकुंड, काकबलि, उत्तर मानस, गया दित्य, उदीची वेदी, कनखल, उत्तर मानस, सूर्ययकुंड, गदाधर वेदी, गया सिर, गया कूप, मुंडपृष्ठ, धौत पद, आदि गया, गोदावरी सरोवर, मंगलागौरी, वैतरणी सरोवर, ब्रह्म सरोवर, भीम गया, धर्मारण्य, बोधिवृक्ष, अक्षय वट जहां अभी पिंडदान होता हैं विष्पुपद मंदिर परिसर में 19 वेदियां स्थापित है.

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