Jun 18 2016 03:14 AM
पीपल के पत्तों तथा छाल का प्रयोग करने से व्यक्ति बहुत सी बीमारियों से बचा रह सकता है. बीमारियों से बचने का मतलब है स्वस्थ शरीर और ऐसा शरीर ही बहुत समय तक जीवित रह सकता है. आज भी साधु संत और ज्ञानी-ध्यानी लोग पीपल के पेड़ के नीचे कुटिया बनाते तथा धूनी रमाते हैं.
वे पीपल की लकड़ी जलाते हैं और रूखा-सूखा खाकर भी दीर्घजीवी होते थे. पीपल का बूटा-बूटा और पत्ता-पत्ता हमें निरोग बनाता है, स्वस्थ रखता है और लम्बी आयु प्रदान करता है. दमा तथा तपेदिक (टी.बी) के रोगियों के लिए पीपल अमृत के समान है.
कहा जाता है कि दमा तथा तपेदिक के रोगियों को पीपल के पत्तों की चाय पीनी चाहिए. पीपल की छाल को सुखा कर उसका चूर्ण शहद के साथ लेना चाहिए. जड़ को पानी में उबालकर स्नान करना चाहिए. ये गुण अन्य किसी वृक्ष में नहीं पाए जाते है.
यदि व्यक्ति में नपुंसकता का दोष मौजूद है और वह सन्तान उत्पन्न करने में असमर्थ है तो उसे शमी वृक्ष की जड़ या आसपास उगने वाला पीपल के पेड़ की जटा को औटाकर उसका काढ़ा पीना चाहिए.
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