बढ़ते उम्र के साथ पीरियड में भी बदलाव आते है, जानकारी ही सही इलाज है , जाने
बढ़ते उम्र के साथ पीरियड में भी बदलाव आते है, जानकारी ही सही इलाज है , जाने
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कई बार पीरियड्स अप्रत्‍याशित होते है, किसी महीने देर से आता है तो कभी समय से पहले ही आ जाते है। कभी-कभी ब्‍लीडिंग एक हफ्ते तक रहती हैं तो कभी 2-3 दिन में ही बंद हो जाते है। स्‍ट्रेस, हेल्‍थ या लाइफस्‍टाइल में बदलाव का असर पीरियड्स पर पड़ता है। इसके अलावा उम्र के साथ भी इसमें बदलाव आने लगता है। आइए जानें उम्र के अनुसार पीरियड्स में किस तरह का बदलाव देखा जा सकता है।

किशोरावस्था से 20 की उम्र तक  यह वह उम्र है जब आपके पीरियड्स  अनियमित और अचानक होने से होने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किशोरावस्था में नियमित रूप से ओव्यूलेट नहीं होता हैं। हालांकि, रेगुलर पीरियड्स में एक नकारात्मक पहलू यह है कि पीएमएस के लक्षण इसके साथ आते हैं, जो बदतर हो सकते हैं। ऐसे में आपको ब्रेस्ट में कोमलता, पेट में ऐंठन और अन्य पूर्व लक्षणों का अनुभव होता है। अंतिम परिवर्तन जो आपके 20 के दौरान आ सकता है, वह हार्मोनल परिवर्तन है जो गर्भनिरोधक गोलियों के कारण होता है। कई हार्मोनल गर्भनिरोधक से आपके पीरियड्स अधिक रेगुलर और लाइट भी हो सकते है। अच्छी बात यह है कि यह पीएमएस के लक्षणों को भी कम कर सकता है। 

 20 से 30 की उम्र तक यह वह उम्र है जब पीरियड्स रेगुलर होते हैं। लेकिन किसी भी प्रकार का बदलाव जैसे नॉर्मल से ज्यादा फ्लो होने तुरंत डॉक्टर से सलाहलेनी चाहिए क्योंकि जब आप आपकी उम्र 30 के आस-पास होती हैं, तो एंडोमेट्रियोसिस और फाइब्रॉएड के मामले भी बेहद आम होते हैं। एक और बड़ा बदलाव जो इस दौरान हो सकता है, वह डिलीवरी से संबंधित है। जितनी महिलाओं के 30 की उम्र में बच्चे होते हैं, प्रेग्नेंसी पूरी तरह से एक महिला के पीरियड्स में बदलाव ला सकती है। 

40 की उम्र यह वह समय होता है जब आप किसी समापन की ओर बढ़ रही होते हैं। इसलिए पीरियड्स में अनियमित होना, मिस्ड पीरियड्स, पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग और अन्य कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। पेरिमेनोपॉज़ल स्टेज अप्रत्याशितता होती है, हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि आप प्रेग्‍नेंट नहीं हो सकती हैं। इसके अलावा, इस समय के दौरान, आपके पीएमएस लक्षण खराब हो सकते हैं क्योंकि वे पेरिमेनोपॉज़ल परिवर्तनों के साथ आते हैं। आपको बहुत ज्यादा मूड स्विंग, ज्यादा गर्मी महसूस होना, रात को पसीना आना जैसा महसूस हो सकता हैं और ये पीएमएस या पेरिमेनोपॉज़ के लक्षण हो सकते हैं।

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