आपने अक्सर लोगों को ज्योतिषीय सलाह पर विभिन्न प्रकार की अंगूठियाँ पहने हुए देखा होगा, जैसे सांप वाली, कछुए वाली, या घोड़े की नाल से बनी अंगूठी। इन अंगूठियों का महत्व और उनके पहनने के पीछे के कारण प्राचीन काल से जुड़े हैं, जो व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों के प्रभाव और ज्योतिषीय दोषों से जुड़े होते हैं। आइए जानते हैं, इन अंगूठियों के लाभ और ज्योतिषी किस आधार पर इन्हें धारण करने की सलाह देते हैं।
सांप वाली अंगूठी
सांप वाली अंगूठी धारण करना ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इसे पहनने से कालसर्प दोष और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह फंसे होते हैं। इससे जीवन में अनेकों कठिनाइयाँ आती हैं, जैसे आर्थिक समस्याएँ, मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें और पारिवारिक कलह। सांप वाली अंगूठी धारण करने से इन सभी समस्याओं का निवारण होता है और जीवन में शांति आती है।
यह अंगूठी ग्रहण दोष से भी मुक्ति दिलाती है, जो ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु के प्रभाव से उत्पन्न होता है और जीवन में नकारात्मकता और बाधाओं का कारण बनता है। इस अंगूठी के पहनने से ग्रहण दोष का प्रभाव कम होता है और सौभाग्य बढ़ता है। सांप वाली अंगूठी ज्यादातर चांदी, तांबे या अष्टधातु से बनवाई जाती है। अलग-अलग धातु और समस्याओं के आधार पर इसे विभिन्न अंगुलियों में धारण किया जाता है, जिससे इसका प्रभाव बढ़ता है।
कछुए वाली अंगूठी
कछुए वाली अंगूठी ज्योतिष में बहुत ही शुभ मानी जाती है। कछुआ समृद्धि, धैर्य, और दीर्घायु का प्रतीक है। इसे धारण करने से भाग्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति के सभी कार्य बिना बाधाओं के पूरे होने लगते हैं। करियर और व्यवसाय में उन्नति होती है, और व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होता है।
कछुए की अंगूठी पहनने का मुख्य उद्देश्य धन को आकर्षित करना होता है। यह अंगूठी धन को चुम्बक की तरह खींचती है, जिससे व्यक्ति को कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता। इसके साथ ही, इसे धारण करने वाले व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, जिससे उसे धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह अंगूठी व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद मानी जाती है।
घोड़े की नाल की अंगूठी
घोड़े की नाल को प्राचीन काल से ही सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से शनि दोष का निवारण होता है। शनि दोष तब उत्पन्न होता है जब शनि की दशा या महादशा किसी व्यक्ति की कुंडली में अनुकूल नहीं होती। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयाँ, स्वास्थ्य समस्याएँ, आर्थिक तंगी और सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव हो, तो ज्योतिषी घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनने की सलाह देते हैं। यह अंगूठी शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करती है और जीवन में स्थिरता, सफलता और उन्नति लाती है। इसे पहनने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और कठिन समय को आसानी से पार किया जा सकता है।
अष्टधातु से बनी अंगूठी
अष्टधातु से बनी अंगूठी ज्योतिष में विशेष महत्व रखती है। अष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, लोहा, सीसा, जस्ता, पारा और पारा मिलाया जाता है। यह अंगूठी धारण करने से नवग्रहों को संतुलित किया जा सकता है, जिससे जीवन में शांति, समृद्धि और स्थिरता आती है।
अष्टधातु की अंगूठी धारण करने से कार्यक्षेत्र में सफलता, स्वास्थ्य में सुधार, और मन में सकारात्मक विचार आते हैं। यह अंगूठी व्यक्ति को जीवन में नई ऊँचाइयों तक पहुँचने में मदद करती है। इसे धारण करने से व्यक्ति का मानसिक संतुलन बेहतर होता है और उसकी निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है। अष्टधातु से बनी अंगूठी विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होती है जिनके जीवन में ग्रहों की अशांति के कारण अस्थिरता और समस्याएं होती हैं।
सूर्य की अंगूठी
सूर्य को ज्योतिष में सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है। सूर्य की अंगूठी धारण करने से व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान बढ़ता है। यह अंगूठी धारण करने से कुंडली में सूर्य का प्रभाव बलवान होता है, जिससे व्यक्ति को नौकरी और व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती है।
सूर्य की अंगूठी खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद होती है, जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है या सूर्य से संबंधित कोई दोष होता है। यह अंगूठी धारण करने से व्यक्ति की आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और उसे समाज में आदर और सम्मान प्राप्त होता है। साथ ही, इसे पहनने से व्यक्ति की नेतृत्व क्षमता भी बढ़ती है, जिससे वह अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है।
अंगूठियाँ केवल आभूषण नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे छिपे ज्योतिषीय कारणों को ध्यान में रखते हुए इन्हें धारण किया जाता है। चाहे वह कालसर्प दोष हो, शनि की साढ़ेसाती हो या फिर धन की कमी—इन अंगूठियों का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाना और उसे सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करना होता है।
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