नई दिल्ली : भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी एक सेमिनार में पहुंचे। यहां उन्होंने वैज्ञानिक सोच-ज्ञान आधारित समाज की पूर्व शर्त को लेकर उपस्थितों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि एक बार फिर असहिष्णुता के मसले पर कहा है कि यदि देश में कहीं आलोचना की जाती है तो उसे दबाने के लिए लोगों की हत्या तक हो रही है। लोग अपनी आलोचना को सहन नहीं कर पा रहे हैं।
असहनशीलता को लेकर चल रही बहस के बीच उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आस्था और विश्वास जब पूर्वाग्रहों से ग्रसित हों और आदतों पर अतार्किक आस्था और विश्वास संदेह की नींव पर टिका हो तो फिर इस तरह की असहनशीलता सामने आती है।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि इन बातों से हिंसक प्रवृत्ति का जन्म होता है। कई बार ऐसी किताबें सामने आईं जो हिंसा की प्रवृत्ति को बढ़ाती हुई प्रतीत हुईं। इन किताबों को प्रतिबंधित कर दिया गया। पुस्तकालयों को आगजनी का सामना तक करना पड़ा। नागरिकों के साथ हिंसक गतिविधियां हुईं। शिक्षा प्रणाली युवा मस्तिष्क में इस तरह की सोच का संचार करने हेतु यह सब प्रभावी नज़र नहीं आ रहा है।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि समाज में सरकारात्मकता का निर्माण नवाचार और वैज्ञानिक शोध से हो सकता है। इससे समाज को सही दिशा मिलेगी और एक अच्छा ढांचा तैयार होगा। उन्होंने कहा कि निजी जीवन में भी असहिष्णुता का सामना करना पडता है। कई बार पारिवारिक जीवन में माता - पिता को बहुत सी बातें पसंद नहीं होती हैं। शिक्षक विद्यार्थियों के सवाल करने पर नाराज़ हो जाते हैं ऐसा तब होता है जब विद्यार्थी शिक्षकों के ज्ञान पर संदेह करते हैं।