शांति इंसान के लिए सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण है .जब तक व्यक्ति मन से अशांत हैं और जब तक उनका मन शांत नहीं होगा तब तक उनका जीवन सुखी नहीं हो सकता है. मन को नियंत्रित करने पर ही उन्हें शांति मिलेगी. धन-दौलत से संसाधन खरीदे जा सकते हैं, लेकिन शांति नहीं खरीदी जा सकती है.
शांति बाजार में बिकने वाली वस्तु नहीं है. केवल मुख से चुप रहने से शांति नहीं मिलती, बल्कि सच्ची सुख-शांति तो तभी है जब व्यक्ति का मन चुप रहे. अशांति का कारण ही व्यक्ति का मन है. हाथ में माला फेरने और जीभ से भजन करने से ईश्वर का सच्चा सुमिरन नहीं होता है, यदि मनुष्य का मन ही एकाग्र न हो. अब सवाल यह है कि मनुष्य का मन एकाग्र कैसे हो?
महात्मा गांधी का कहना था कि मैं शांति पुरुष हूं, लेकिन मैं किसी वस्तु की कीमत पर शांति नहीं चाहता.मैं ऐसी शांति चाहता हूं, जो आपको कब्र में नहीं तलाशनी पड़े. शांति के लिए मनुष्य को अपने जीवन को महात्मा गांधी की तरह नियमित और अनुशासित करना पड़ता है.जो व्यक्ति नियम और अनुशासन से चलता है उसका मन कभी अशांत नहीं होगा.