श्रीनगरः केंद्र सरकार ने बीते पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर में लागू धारा 370 को समाप्त कर दिया था। इसके बाद राज्य के मुख्यधारा के प्रमुख राजनीतिक दलों के सैकड़ों नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को नजरबंद कर दिया गया था। सरकार ने इनको एहतियातन हिरासत में रखा था। अब सरकार ने कश्मीर में सुधरते हालात और निकट भविष्य में होने जा रहे ब्लॉक विकास परिषद (बीडीसी) के चुनाव की प्रक्रिया को देखते हुए इनकी रिहाई शुरू कर दी है। जम्मू प्रांत में मुख्यधारा की सियासत से जुड़े सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं को नजरबंदी से मुक्त कर दिया गया है।
कश्मीर में नेताओं की पृष्ठभूमि और राज्य की संवैधानिक स्थिति में बदलाव को लेकर उनकी विचारधारा का आकलन करने के बाद उन्हें रिहा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अलबत्ता, तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर और महबूबा व कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं ने रिहाई के लिए बांड व अन्य प्रशासनिक शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस के बड़े नेता अभी नजरबंद ही रहेंगे।
राज्य में अब तक नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस से जुड़े करीब तीन दर्जन प्रमुख नेता जिन्हें कथित तौर पर नजरबंद बनाया गया था, उन्हें मुक्त कर दिया गया है। अलबत्ता, राज्य के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और नौकरशाही छोड़ रियासत की सियासत में सक्रिय हुए शाह फैसल समेत करीब एक हजार प्रमुख नेता व कार्यकर्ता फिलहाल एहतियातन हिरासत या नजबंद हैं। बता दें कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है।
भूमाफिया आज़म खान को बड़ी राहत, पांच मामलों में अदालत ने दी अग्रिम जमानत
SC के पूर्व जस्टिस काटजू ने ममता पर लगाया मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप, भाजपा को भी घेरा
सऊदी अरब का बड़ा फैसला, अब बिना रिश्ता बताए होटल में रुक सकेंगे विदेशी कपल