26 अप्रैल को है परशुराम जयंती, जानिए कैसे करना है पूजन
26 अप्रैल को है परशुराम जयंती, जानिए कैसे करना है पूजन
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हिंदू धर्म में पूजा पाठ और व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है और हिन्दू धर्म में इन्हे रखना और मनाना पुण्य का काम होता हैं. ऐसे में भगवान परशुराम की जयंती देशभर में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाई जाती हैं जो इस साल 26 अप्रैल को है. ऐसे में ब्राह्मण जा​ति के कुल गुरु भगवान परशुराम की जयंती पंचांग के वैशाख माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती हैं और इसे 'परशुराम द्वादशी' भी कहा जाता हैं. आप सभी को बता दें कि इस बार परशुराम जयंती लॉकडाउन के चलते घरों में ही सादगी से मनाई जाएगी. तो आइए आज हम आपको बताते हैं परशुराम जयंती की ​पूजन विधि.

जी दरअसल भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम को साहस का देवता माना जाता हैं वही अक्षय तृतीया को भी परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता हैं. इसी के साथ परशुराम जी का जन्म पुर्नवसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था और कहा जाता है कि इस दिन किया गया पुण्य का प्रभाव कभी समाप्त नहीं होता हैं. इसी के साथ मान्यताओं को माना जाए तो इस दिन पूजा करने से साहस में वृद्धि होती हैं और भय से मुक्ति मिल जाती हैं. जी दरअसल भगवान परशुराम ऋषि ऋ​चीक के पौत्र और जमदग्नि के पुत्र हैं इनकी माता का नाम रेणुका था. भविष्य के प्रभाव से ब्राह्मण पुत्र होते हुए भी ये क्षात्रकर्मा हो गये थे और ये भगवान शिव के परम भक्त हैं.

आप सभी को बता दें कि भगवान शंकर ने ही परशुराम जी को एक अमोघ अस्त्र परशु प्रदान किया था और उनका वास्तविक नाम राम था. जी दरअसल हाथ में परशु धारण करने से राम परशुराम कहलाए थे. परशुराम अपने पिता के अनन्य भक्त थे और पिता की आज्ञा मानकर उन्होंने अपनी माता रेणुका का सिर काट डाला था लेकिन फिर से पिता के आशीर्वाद से माता की स्थिति यथावत हो गई थी.

26 अप्रैल को है परशुराम जयंती, जानिए क्यों काट दिया था माता का सिर

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