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नई दिल्ली : संसद में नाथूराम गोडसे को लेकर की जाने वाली बात अब असंसदीय नहीं होगी। इस तरह की व्यवस्था हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने दी है।
मिली जानकारी के अनुसार संसद ने 1956 में नाथूराम गोड़से शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था मगर अब इस तरह के प्रतिबंध को हटा दिया गया है।
दरअसल शिवसेना के सांसद हेमेंत तुकाराम गोडसे ने गोडसे के नाम को असंसदीय शब्द की सूची से हटाने पर काफी राहत महसूस की है।
उन्होंने ही संसद में मसला उठाते हुए गोडसे के नाम का प्रयोग करने को असंसदीय करार न दिए जाने की मांग की थी।
दरअसल उन्होंने राज्यसभा और लोकसभा के पीठासीन अधिकारियों को पत्र लिखकर आश्चर्य जताया कि सांसद के उपनाम को आखिर असंसदीय कैसे माना जाए।
सांसद गोडसे का कहना था कि यदि मेरा उपनाम गोडसे है तो यह मेरी गलती नहीं है। मैं अपना नाम न तो बदल सकता हूं और न ही कभी बदलूंगा। यही मेरा पैतृक उपनाम है। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि इस तरह का प्रतिबंध उनके पूर्वजों के नाम पर गलत कलंक लगाता है।
दरअसल गोड़से समुदाय के कई लोग हैं जिनका बाहुल्य महाराष्ट्र में है।
उल्लेखनीय है कि संसद के एक सत्र में राज्यसभा के उपसभापति ने एक सदस्य को गोडसे शब्द के प्रयोग को रोक दिया था।
दरअसल उपसभापति का कहना था कि यह शब्द असंसदीय है। इसके बाद सांसद गोडसे ने संसद में मांग उठाई कि उनके उपनाम को असंसदीय शब्द की सूची से हटा लिया जाए।
इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने आदेश दिया कि गोडसे उपनाम को असंसदीय नहीं कहा जाएगा। केवल नाथूराम गोडसे का जिक्र करना असंसदीय होगा।