नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र का हर्ष भी ग्रीष्मकालीन सत्र की तरह होता दिख रहा है, जिसके कारण अधर में लटके सारे विधेयकों पर भी काले बादल मंडरा रहे है। लेकिन जिसकी सबसे ज्यादा चिंता है वो है गुड्स एण्ड सर्विसेज टैक्स बिल। एनडीए सरकार ने इसे 1 अप्रैल से लागू करने को कहा था जब कि अब तक इस पर कोई चर्चा होती नही दिख रही है।
पहले संविधान पर चर्चा और अब नेशनल हेराल्ड के मुद्दे पर छिड़ी तूतू-मैंमै से संसद का शीतकालीन सत्र भी बर्बाद होता दिख रहा है। पीएम ने इस संबंध में विपक्षी दल से एक बार बात की है और दूसरी बार बातचीत की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस ने इस संबंध में साफ कर दिया है कि अदालत द्वारा जारी किए गए समन का इससे कोई लेना-देना नही है। जब कि बीजेपी का कहना है कि दोनो घटनाक्रमों में एक संबंध है। वित मंत्री ने इस संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा कि मैं चाहता हूं और प्रार्थना करता हूं कि जीएसटी के मुद्दे को नेशनल हेराल्ड मामले से अलग रखा जाए।
पूर्व वित मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि विपक्षी पार्टी एक विचित्र संबंध बना रही है। उन्होने कहा कि कांग्रेस ने जीएसटी पर उचित चिंताओ को उठाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा विधेयक पर सुझाव दिए जाने के बाद विपक्षी पार्टी को मुद्दे पर सरकार का संशोधित संरूपण (Revised Format) प्राप्त नहीं हुआ है। इस पर जेटली ने कहा कि सरकार ने अपनी प्रतिक्रियाओं से पार्टी के जिम्मेदार नेताओं को अगत करा दिया है।