क्या विपक्ष के हंगामे में बर्बाद हो जाएगा पूरा 'मानसून सत्र' ? पहले हफ्ते में कुछ घंटे ही हुआ कामकाज
क्या विपक्ष के हंगामे में बर्बाद हो जाएगा पूरा 'मानसून सत्र' ? पहले हफ्ते में कुछ घंटे ही हुआ कामकाज
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नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र का दूसरा सप्ताह आरंभ हो चुका है. पहले सप्ताह में कुछ घंटों को छोड़कर दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो सका था. सिर्फ राज्यसभा में कोरोना को लेकर 2 घंटे की बहस हुई थी. ऐसे में विपक्ष के रवैये को देखकर यह सवाल उठने लगा है कि क्या हंगामें के कारण पूरा मानसून सत्र ही बर्बाद हो जाएगा ? इस संबंध में सोमवार को राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने एक ट्वीट किया था.

उन्होंने अपने ट्वीट में संसद चलाने के लिए एक प्रकार की शर्त रखी थी. अपने ट्वीट में रमेश ने कहा था कि, 'पूरा विपक्ष एकजुट है. पीएम या गृहमंत्री की गैरमौजूदगी में पेगासस जासूसी कांड पर बहस हो. सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच का ऐलान हो. संसद नहीं चल रहा है क्योंकि सरकार इन वाजिब मांगों को नहीं मान रही है.' रमेश के इसी ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने लिखा कि, 'हमें यही चाहिए, न कि पीयूष गोयल के यहां ग्रीन टी, धन्यवाद , किन्तु धन्यवाद नहीं'. बता दें कि इन दोनों ट्वीटों से विपक्ष का रवैया समझना मुश्किल नहीं है. जासूसी कांड पर विरोध में TMC सबसे ज्यादा आक्रामक नज़र आ रही है. सोमवार को हुई पार्टी की संसदीय दल की मीटिंग में तय किया गया कि जब तक पीएम मोदी इस मुद्दे पर सदन में बयान नहीं देते तब तक सदन की कार्यवाही चलने नहीं दी जाएगी.

वहीं, सरकार का कहना है कि वो विपक्ष से बात करके संसद चलाने का कोई समाधान निकलना चाहती है. पिछले सप्ताह शुक्रवार को राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने विपक्ष के सभी नेताओं को चाय पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था, किन्तु उस बैठक में कांग्रेस और TMC शामिल नहीं हुई थी. पीयूष गोयल ने सोमवार को एक बार फिर विपक्ष के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया, किन्तु बात आगे नहीं बढ़ सकी. आज मंगलवार को भी संसद में हंगामा जारी है. लोकसभा कि कार्यवाही 11:45 तो राज्यसभा की कार्यवाही को विपक्ष के हंगामे के चलते 12:00 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. ऐसे में साफ़ नज़र आ रहा है कि विपक्ष पूरे मानसून सत्र को हंगामे में ही निकाल देना चाह रहा है. बता दें कि इसके बाद नवंबर-दिसंबर में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा, अगर वर्तमान सत्र में कोई कामकाज नहीं होता है, तो सभी अहम विधेयक-अध्यादेश लम्बे समय के लिए टल जाएंगे. 

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