मंदसौर : राजस्थान सीमा से सटे मध्यप्रदेश के इस क्षेत्र का नाम आते ही लोगों को अफीम की याद आ जाती है लेकिन जब युवाओं के बीच इस क्षेत्र की बात चलती है तो युवा आपस में हंसी ठिठोली करते नज़र आते हैं। दरअसल यह हंसी ठिठोली चलती है इस क्षेत्र में और यहां से करीब ढोढर में संचालित होने वाले बांछड़ा डेरों को लेकर।
जी हां, बांछड़ा जनजाति द्वारा वर्षों से परंपरागत तरीके से देह व्यापार किया जाता है। देह व्यापार के ये डेरे अब ढोढर से निकलकर मंदसौर, नीमच, रतलाम और अन्य जिलों की ओर भी पहुंच चुके हैं। यही नहीं रतलाम, नीमच और मंदसौर क्षेत्र के हाईवे से निकलने वाले वाहन भी बड़े पैमाने पर यहां ठहरते हैं, शाम ढलते ही इस क्षेत्र का नज़ारा बेहद अलग हो जाता है।
यहां पर बने ढाबे और चाय की दुकान के पास ही लड़कियां जमा होने लगती हैं, ये लड़कियां कभी गिल्लि डंडा खेलती हैं तो कभी दूसरे खेल खेलती हैं। यहां भी इन लड़कियों का पहनावा कुछ बदल जाता है। ये लड़कियां जींस - पेंट में नज़र आती हैं। यहां से अंदर जाने पर इन लड़कियों के तेवर दिखाई देने लगते हैं। जानकारी से तो यह भी सामने आया है कि करीब 1 हजार से भी अधिक लड़कियां देह व्यापार में लिप्त हैं।
यहाँ के पुरूष भी इनकी कमाई से ही अपना काम चलाते हैं। उज्जैन रेंज के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ये लोग इस काम को बुरा नहीं मानते है। पुलिस ने नीमच और रतलाम में कार्रवाई की मगर इसे कानून से नहीं मिटाया जा सकता है यह बुराई समाज को जागरूक करने के बाद ही मिट सकती है।
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