आखिर क्यों भगवान परशुराम ने कर दिया था अपनी माता का वध? जानिए कथा
आखिर क्यों भगवान परशुराम ने कर दिया था अपनी माता का वध? जानिए कथा
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आज देशभर में भगवान परशुराम की जयंती मनाई जा रही है। भगवान परशुराम श्री विष्णु (Lord Vishnu) के छठें अवतार हैं तथा श्री हरि ने क्रूर क्षत्रियों के अत्याचारों से बचाने के लिए पृथ्वी पर परशुराम के तौर पर जन्म लिया था।  जिस दिन वे पृथ्वी पर अवतरित हुए थे उस शुभ दिन को परशुराम जयंती के तौर पर मनाया जाता है। इस तिथि को प्रदोष व्यापिनी रूप में ग्रहण करना चाहिए क्योंकि भगवान परशुराम का प्राकट्य काल प्रदोष काल ही है। परशुराम भगवान को लेकर एक मान्यता ये भी है कि वे 8 चिरंजीवी पुरुषों में से एक हैं जो आज भी धरती पर विद्यमान हैं। 

परशुराम कथा:-
परशुराम वीरता के साक्षात उदाहरण थे. वे अपने माता–पिता के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित थे. एक बार परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि अपनी पत्नी रेणुका पर क्रोधित हुए. रेणुका एक बार मिट्टी के घड़े को लेकर पानी भरने नदी किनारे गई, लेकिन नदी किनारे कुछ देवताओं के आने से उन्हें आश्रम लौटने में देरी हो गयी. ऋषि जमदग्नि ने अपनी शक्ति से रेणुका के देर से आने की वजह से जान लिया और वे उन पर अधिक क्रोधित हुए. उन्होने क्रोध में आ कर अपने सभी पुत्रों को बुला कर अपनी माता का वध करने की आज्ञा दी. किन्तु ऋषि के चारों पुत्र वासु, विस्वा वासु, बृहुध्यणु, ब्रूत्वकन्व ने अपनी माता के प्रति प्रेम भाव जताते हुए, अपने पिता की आज्ञा को मानने से मन कर दिया. इससे ऋषि जमदग्नि ने क्रोधवश अपने सभी पुत्रों को पत्थर बनने का श्राप दे दिया.

तत्पश्चात, ऋषि जमदग्नि ने परशुराम को अपनी माता का वध करने की आज्ञा दी. परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपना अस्त्र फरसा उठाया तथा उनके चरणों में सिर नवाकर तुरंत ही अपनी माता रेणुका का वध कर दिया. इस पर जमदग्नि अपने पुत्र से खुश हुए एवं उन्होने परशुराम से मनचाहा वरदान मांगने को कहा. परशुराम ने बड़ी ही चतुराई एवं विवेक से अपनी माता रेणुका तथा अपने भाइयों के प्रेमवश हो कर सभी को पुनः जीवित करने का वरदान मांग लिया. उनके पिता ने उनके वरदान को पूर्ण करते हुए पत्नी रेणुका तथा चारों पुत्रों को फिर से नवजीवन प्रदान किया. ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र परशुराम से बहुत खुश हुए. परशुराम ने अपने माता-पिता के प्रति अपने प्रेम एवं समर्पण की मिसाल कायम की। 

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