अपने अंतिम समय में चीन के धोखे से दुखी थे जवाहर लाल नेहरू, जानिए क्या हुआ था ऐसा
अपने अंतिम समय में चीन के धोखे से दुखी थे जवाहर लाल नेहरू, जानिए क्या हुआ था ऐसा
Share:

27 मई को आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि है। वर्ष 1964 में नेहरू का हृदयाघात से देहांत हो गया था। अपने आखिरी दिनों में नेहरू की सेहत बेहद अच्छी नहीं रहा करती थी, मगर वे एक कर्मठ व्यक्ति थे तथा उन्होंने पूरी कोशिश की कि स्वास्थ्य उनके काम में बाधा नहीं बने मगर आहिस्ता-आहिस्ता उनके स्वास्थ्य का प्रभाव नजर आने लगा था।

1964 का वर्ष ही नेहरू के लिए अच्छा नहीं था। जनवरी में ही भुवनेश्वर में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था इसके पश्चात् उनका स्वास्थ्य निरंतर गिरता रहा था। उनकी दिनचर्या बेहद प्रभावित हुई उनका अधिकतर काम लाल बहादुर शास्त्री को देखना पड़ा। इस हार्ट अटैक के पश्चात् उन्हें चलने में भी परेशानी महसूस होती थी। बेशक नेहरू चीन के धोखे से दुखी थे, मगर इतना अधिक कि अगले दो वर्ष तक उनकी तबियत ऐसी बिगड़ी कि सुधरी ही नहीं, नेहरू जैसे व्यक्तित्व के लिए मानना मुश्किल लगता है। फिर भी जैसा बताया जाता है कि 1962 के पश्चात् नेहरू में वह उत्साह नहीं रह गया था। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर उन्हें चीन से ही नहीं बल्कि सोवियतसंघ तथा अन्य कुछ वैश्विक नेताओं से भी निराशा प्राप्त हुई थी। वे कुछ अधिक शांत रहने लगे थे। एक वक़्त में उन्होंने इस्तीफे की पेशकश तक भी की थी । चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रखने वाले तथा स्वास्थ्य का ध्यान रखने वाले नेहरू का स्वभाव चीन के युद्ध के पश्चात् शांत और गंभीर हो गया था। नेहरू के स्वास्थ्य को लेकर ऐसी कोई बड़ी या गंभीर घटना का जिक्र कहीं नहीं मिलता। उस के चलते उनके पास रहने वाले लोग बताते हैं कि उन्होंने भारत की सेना की मजबूती के लिए बेहद सारे काम किए तथा वैश्विक स्तर पर मजबूती से उसका सामना भी किया। मगर उनमें वह उत्साह देखने को बेशक नहीं मिला जो पहले नजर आया करता था।

26 मई को नेहरू हेलीकॉप्टर से देहरादून से शाम 04।00-05।00 बजे के आसपास दिल्ली के लिए चले थे। छोटी सी भीड़ उन्हें विदा करने आई थी। वो शाम अंतिम शाम थी, जब नेहरू को अंतिम बार सार्वजनिक तौर पर देखा गया था। उन्होंने  हेलिकॉप्टर के दरवाजे पर खड़े होकर हाथ हिलाया। तब वहां उपस्थित रिपोर्टर राज कंवर ने महसूस किया कि बायां हाथ ऊपर उठाते वक़्त नेहरू के चेहरे पर कुछ दर्द सा उभर आया था। उनकी बेटी इंदिरा उन्हें सहारा देने के लिए खड़ी थी। बाएं पैर के हिलने में भी समस्यां महसूस हो रही थी। उसी रात वे थके नजर आ रहे थे। वे रोजमर्रा के मुकाबले जल्दी सोने चले गए तथा फिर उनकी रात बेचैनी में गुजरी। वो कई बार उठे। रातभर करवटें बदलते रहे तथा पीठ के साथ कंधे में दर्द की शिकायत करते रहे। विश्वस्त सेवक नाथूराम उन्हें दवाएं देकर सुलाने की कोशिश करते रहे और दर्द निवारक दवाएं देते रहे। 27 मई को प्रातः 06।30 बजे नेहरू को पैरालिटिक अटैक आया तथा फिर हार्ट अटैक। इसके बाद वो इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

हमारे ग्रह को भविष्य की घटनाओं के साथ बदल देगी कोरोना महामारी: पीएम मोदी

आज है बीजेपी के कद्दावर नेता और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का जन्मदिन

केरल में दहशत का माहौल, 11 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -