पुण्य कमाने के लिए पंचक्रोशी यात्रा
पुण्य कमाने के लिए पंचक्रोशी यात्रा
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दुनिया के प्रमुख ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन की पंचक्रोशी यात्रा को दिव्यशक्तियों के निकट ले जाने वाला माना जाता है। यह यात्रा सम्पूर्ण मानव-समुदाय के कल्याण के लिए निकाली जाती है। 21 अप्रैल से शुरू होने वाली और छह दिनों तक चलने वाली पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर दूरी तय करते हुए 26 अप्रैल 2017 को समाप्त होगी। इस यात्रा में यात्री 05 दिन तक प्रतिदिन लगभग 05 कोस अर्थात लगभग 20 किलो मीटर की यात्रा तय करते हैं। इसी कारण इसे पंचक्रोशी यात्रा कहा जाता है।

पुरातन काल से ही अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इंसान द्वारा तरह-तरह के अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता रहा है और इसका मकसद ईश्वर के प्रति निकटता पाना होता है। यह सिलसिला आज भी जारी है। ऐसी मान्यता है कि पापों को समाप्त करने की शक्ति बाबा महाकाल में है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि पूरे जीवन के काशीवास से ज्यादा महत्वपूर्ण तथा पुण्यकारी काम वैशाख के मास में पांच दिन का अवंतिवास है।

पापों से मुक्ति पाने और पुण्य कमाने के लिए ही देश भर के श्रद्धालु पंचक्रोशी यात्रा में हिस्सा लेने के लिए उज्जैन पहुँचते हैं। मान्यता है कि इस लम्बी यात्रा में शामिल होने से निहित स्वार्थ, दुराग्रह, पूर्वाग्रह, कटुता, वैमनस्य तथा मोहमाया के सारे बंधन पीछे छूटे जाते हैं।

पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर तक निकाली जाती है और इसमें कुल सात पड़ाव व उप पड़ाव आते हैं। इन पड़ावों व उप पड़ावों के बीच कम से कम 06 से लेकर 23 किलोमीटर तक की दूरी होती है। नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव के बीच 12 किलोमीटर, पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव के बीच 23 किलोमीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव तक 21 किलोमीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्वकेश्वर पड़ाव अम्बोदिया तक 06 किलोमीटर, अम्बोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव तक 21 किलोमीटर, कालियादेह से दुर्देश्वर पड़ाव जैथल तक 07 किलोमीटर, दुर्देश्वर से पिंगलेश्वर होते हुए उंडासा तक 16 किलोमीटर और उंडासा उप पड़ाव से क्षिप्रा घाट रेत मैदान उज्जैन तक 12 किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है। पुरातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार यह यात्रा क्षिप्रा नदी में स्नान व नागचंद्रेश्वर की पूजा के साथ वैशाख कृष्ण दशमी से शुरु होती है।

पंचक्रोशी यात्रा उज्जैन में होने वाला प्रतिवर्ष का आयोजन है। यह धार्मिक यात्रा 118 किमी लंबी होती है और अप्रैल माह में आयोजित होती है, जिसमें वैशाख की तपती दोपहर में हजारों श्रद्धालु आस्था की डगर पर यात्रा करते हैं। यात्रा के कुछ प़ड़ाव शिप्रा के किनारे हैं। पंचक्रोशी यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु यात्रा प्रारंभ होने के एक दिन पहले नगर में आकर मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पर विश्राम करते हैं। प्रातः शिप्रा स्नान कर पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुँच भगवान नागचंद्रेश्वर को श्रीफल अर्पित कर बल प्राप्त करते हैं। इसके बाद यात्रा शुरू होती है।

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