आप सभी को बता दें कि अब नया साल यानी 2019 आने में कुछ ही समय बचा हुआ है. ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे कि वैदिक ज्योतिष में पांच नक्षत्रों के विशेष मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है और जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है. कहते हैं चंद्रमा एक राशि में लगभग ढाई दिन रहता है इस तरह इन दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक भ्रमण करता है. वहीं इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है और यह पांच दिन पंचक माने जाते हैं.
ऐसे में हिंदू संस्कृति में प्रत्येक कार्य मुहूर्त देखकर करने का विधान है यह बात भी आप सभी जानते ही होंगे. ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं पंचक के बारे में. जी दरअसल हिंदू संस्कृति में प्रत्येक कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण है पंचक. जी हाँ, कहते हैं जब भी कोई कार्य प्रारंभ किया जाता है तो उसमें शुभ मुहूर्त के साथ पंचक का भी विचार किया जाता है और नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं. इन्ही में आखिरी के पांच नक्षत्र दूषित माने जाते हैं जो धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती होते हैं.
कहते हैं हर एक नक्षत्र चार चरणों में विभाजित किया जाता है और पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक माना जाता है. ज्योतिषों के अनुसार हर दिन एक नक्षत्र होता है और इस तरह धनिष्ठा से रेवती तक पांच दिन हुए तो यह ही पंचक माना जाता है.
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