इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने इस बार नेपाल और भारत में भूकंप से मची तबाही में मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। भारत ने भी उसकी इस पहल पर उसे धन्यवाद दिया है लेकिन इसके पहले उसने चीन से दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए अपने सामरिक महत्व को भी जताया। पाकिस्तानी मीडिया में चीन द्वारा किए जाने वाले समझौते की खबरें छाई रहीं। दरअसल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में पाकिस्तान का दौरा किया।
इस दौरान मीडिया में पाकिस्तान और चीन के बीच हुए 46 अरब डाॅलर के चीनी निवेश के लिए समझौता किया गया। समाचार पत्रों और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने अपने उर्जा संकट को कम करने के लिए चीन का सहारा लिया वहीं कहा जा रहा है कि जल्द ही पाकिस्तान एशियन टाइगर कहलाएगा। मगर यह बात कितनी सत्य है यह तो समय पर ही निर्भर है।
पाकिस्तानी जानकारों का भी मानना है कि आज भी विश्व में भारत से उम्दा बाजार कहीं नहीं है। जिसके चलते चीन अपना निवेश भारत में करना ही बेहतर समझता है। पाकिस्तान में अशांत हालात भी विश्व को इस देश में निवेश करने की अनुमति नहीं देते। पाकिस्तान में अमेरिका ने भी काफी निवेश किया है लेकिन पाकिस्तान को बीते दस वर्षों में करीब साठ हजार नागरिकों और पांच हजार सैनिकों को गंवाना पड़ा है।
उसे करीब 1 अरब डाॅलर का नुकसान हुआ है। दूसरी ओर पाकिस्तान की मजबूरी है कि उसे सउदी अरब का साथ संकट की स्थिति में देना होगा। पाकिस्तान में किए गए चीनी निवेश से साफ है कि चीन भारत की सामरिक सीमा की ओर एक नया रास्ता खोलना चाहता है। जिसकारण उसने पाकिस्तान में पनडुब्बियां देने समेत कई सैन्य असैन्य करार किए हैं।
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