भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच मुंबई फ़िल्म फ़ेस्टिवल में 'जागो हुआ सवेरा' नाम की फ़िल्म नहीं दिखाई जा रही। यह एक पाकिस्तानी फ़िल्म है और शायद पाकिस्तान की सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में गिनी जाती है, कुछ तो इसे महानतम पाकिस्तानी फ़िल्म तक कहते हैं। फ़िल्म की कहानी, डायलॉग और बोल एक ऐसे शायर ने लिखे थे जिनके भारत और पाकिस्तान में आज भी लाखों मुरीद हैं - फ़ैज़ अहमद फैज़।
वैसे कभी समय था जब अविभाजित भारत में लाहौर, कोलकाता, मुंबई फ़िल्मों के बड़े अड्डे थे. देव आनंद, प्राण, नूरजहाँ सबके साझे थे। निर्देशक अजय करदार ने यह फ़िल्म 1958 में बनानी शुरू की थी। लेकिन बंटवारे के दर्द और तकलीफ़ के बाद भारत और पाकिस्तान की फ़िल्म इंडस्ट्री भी बंट गई।
जागो हुआ सवेरा भले ही पाकिस्तानी फ़िल्म थी, लेकिन इसकी प्रेरणा फ़ैज़ को एक भारतीय कहानीकार से मिली थी और वह थी बंगाली लेखक माणिक बंधोपाध्याय की एक कहानी पौद्दा नॉदिर माझी। फ़िल्म का संगीत पश्चिम बंगाल के तिमिर बॉरोन ने दिया था।
यानी भारत के एक कहानीकार की कहानी, उसे पर्दे पर उतारा पाकिस्तानी निर्देशक ने, बोल थे फ़ैज के और संगीत में ढाला एक भारतीय ने।