पाकिस्तान के घुड़सवार ने घोड़े के नाम बदलने से किया मना, बोले - 'अपने घोड़े का नाम रजिस्टर्ड कराया था...'
पाकिस्तान के घुड़सवार ने घोड़े के नाम बदलने से किया मना, बोले - 'अपने घोड़े का नाम रजिस्टर्ड कराया था...'
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पाकिस्तान के उस्मान खान पहले ऐसे घुड़सवार हैं जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है. हालांकि अपनी इस शानदार सफलता के बाद उन्होंने साफ कर दिया है कि वो अपने घोड़े का नाम नहीं बदलने वाले हैं . दरअसल उनके घोड़े के नाम पर विवाद चल रहा है जिसका नाम आजाद कश्मीर है. इस मामले यानी अपने घोड़े का नाम बदलने की बाात पर उन्होंने साफ कर दिया है कि ये उनसे लिए कोई बड़ा मसला नहीं है और वो अपने घोड़े का नाम नहीं बदलेंगे. वहीं एक रिपोर्ट की मानें तो भारतीय ओलंपिक संघ अब इस मामले में लीगल सलाह लेने के बारे में सोच रही है क्योंकि उस्मान के घोड़े के नाम से राजनीतिक संदेश जा रहा है.

इस मामले पर उस्मान खान ने कहा है कि सचमुच ये मेरे लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. मेरी सोच बिल्कुल साफ है. घोड़े का नाम भारतीय कश्मीर में तालाबंदी के जवाब में नहीं रखा गया था. 38 वर्ष के उस्मान ने कहा कि अप्रैल 2019 में अपने घोड़े का नाम रजिस्टर्ड कराया था जो कश्मीर में होने वाले तालाबंदी से पहले ही हो गया था. उस्मान अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्होंने राजनीतिक रूप से संवेदनशील समय में विवादों को जन्म दिया है. वो इस अवसर का फायदा उठाना चाहते हैं और अपने व अपने घोड़े आजाद कश्मीर के लिए एक प्रायोजक चाहते हैं जिसके कि वो ओलंपिक में भाग ले सकें. उस्मान खान ने कहा कि मैं इस वक्त एक प्रायोजक की तलाश में हूं जो ओलंपिक में हिस्सा लेने हेतु मेरे और मेरे घोड़े आजाद कश्मीर के खर्चे उठा सके. वहीं उन्होंने कहा कि पहले मेरे घोड़े का नाम 'हेयर टू स्टे' था, लेकिन इसे खरीदने के बाद मैंने इसका नया नाम रखा जो मेरे लिए कोई नई बात नहीं है.

मैंने अपने अस्तबल में मौजूद ज्यादातर घोड़ों के नाम बदले हैंं. इसका नाम बदलने के लिए मुझे 1000 यूएसडी डॉलर खर्च करने पड़े थे और इसे अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय निकायों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार फिट होना चाहिए. मैंने अपने ज्यादातर घोड़ों के नाम नादर्न पाकिस्तान के हिस्सों पर रखा है. ऐसा करने से मुझे अहसास होता है कि मैं अपनी मातृभूमि के साथ जुड़ा हुआ हूं. उस्मान खान ने आगे कहा हैं कि ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए मैं पिछले 15 वर्ष से कड़ी मेहनत के साथ-साथ अपने संसाधन और पैसे लगा रहा हूं. इस बड़े टूर्नामेंट यानी टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है और मैं ऐसा करना चाहता था.

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