जिससे मदद मांग रहा, उसी को बदनाम करने में जुटा पाकिस्तान ! IMF ने किया भंडाफोड़
जिससे मदद मांग रहा, उसी को बदनाम करने में जुटा पाकिस्तान ! IMF ने किया भंडाफोड़
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इस्लामाबाद: 1947 में भारत से अलग होकर मुस्लिम राष्ट्र बना पाकिस्तान अपनी कट्टरपंथी हरकतों के कारण गंभीर आर्थिक संकटों से जूझ रहा है। वही पाकिस्तान, देश चलने के लिए जिस अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मदद के भरोसे बैठा हुआ है, उसी को लेकर गलत दावे करने से बाज नहीं आ रहा है. हालांकि, IMF शहबाज शरीफ सरकार की इस चालबाज़ी से भली-भाँती परिचित हो चुका है और हर कदम पर उसे बेनकाब कर रहा है. दरअसल, पाकिस्तान ने कहा था कि IMF की शर्तों के चलते ही पंजाब प्रांत में चुनाव नहीं हो पा रहे हैं. पाकिस्तान के इस दावे को IMF ने सिरे से नकारते हुए गुरुवार (23 मार्च) को कहा है कि पाकिस्तान के संवैधानिक मामले उसकी शर्तों में शामिल नहीं हैं.

पाकिस्तान के अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, IMF ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अपने खर्चों को तरजीह देने या अतिरिक्त टैक्स बढ़ाने का अधिकार है. IMF के रेजिडेंट प्रतिनिधि एस्तेर पेरेज रुइज ने कहा कि, 'पाकिस्तान के EFF (Extended Fund Facility) प्रोग्राम के तहत संवैधानिक गतिविधियों को करने की पाकिस्तान की क्षमता में दखल देना कतई आवश्यक नहीं है.'

बता दें कि, इसके एक दिन पहले पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने पंजाब प्रांत में 8 अक्टूबर को प्रस्तावित चुनावों को यह कहते हुए स्थगित कर दिया था कि IMF ने चुनावों के लिए फंड को रोक दिया है. चुनाव रोकने की नोटिफिकेशन में आयोग ने IMF को जिम्मेदार ठहराया था.
पाकिस्तानी चुनाव आयोग ने कहा था कि, 'वित्त सचिव ने आयोग को बताया है कि पैसे की किल्लत और वित्तीय संकट के चलते, देश एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है. IMF प्रोग्राम की मजबूरी की वजह से हमें राजकोषीय अनुशासन और घाटे के रखरखाव के लिए लक्ष्य तय करने पड़े हैं. वित्त सचिव ने कहा कि सरकार के लिए पंजाब, खैबर-पख्तूनख्वा की प्रांतीय विधानसभाओं के लिए और बाद में आम चुनावों और सिंध और बलूचिस्तान की प्रांतीय विधानसभाओं के लिए फण्ड जारी करना कठिन होगा.' 

दरअसल, पाकिस्तान कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देने के चक्कर में अपने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम हो रहा है और अपनी हर नाकामी का ठीकरा IMF के सिर फोड़ रहा है. पाकिस्तान के इसी रवैये के कारण दोनों पक्षों में भरोसे की भारी कमी हो गई है और बेलआउट पैकेज की 1.1 अरब डॉलर की किस्त पर स्टाफ लेवल का समझौता नहीं हो पा रहा है.

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