मध्यप्रदेश के सुशील दोषी और मोंढे ने किया नाम रोशन मिला पद्मश्री
मध्यप्रदेश के सुशील दोषी और मोंढे ने किया नाम रोशन मिला पद्मश्री
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इंदौर : मध्यप्रदेश राज्य के सुशील दोषी जो कमेंटेटर है और इनके साथ भालचंद्र मोंढे जो फोटोग्राफर है इनको भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से पुरुस्कृत किया गया है। सुशील दोषी जिन्होने अपनी अवाज़ से लोगो का मन मोह लिया। अपना नाम कमेंटेटर के क्षेत्र में रोशन किया लोगो को इनकी कमेंटेटरी पसन्द आई। लोगो ने इनकी आवाज़ को काफी पसन्द किया है। यह हमेशा से ही हिन्दी भाषा में कमेंटेटरी करते आ रहे हैं। इन्होने अपनी अवाज़ को कमेंटेटरी के क्षेत्र में नयी पहचान दिलायी है।

भालचंद्र मोंढे को भी पद्मश्री से नवाज़ा गया। यह एक प्रसिध्द फोटोग्राफर है। कला फोटोग्राफी के क्षेत्र में इन्होने भी अपना नाम रोशन किया है। लोगो ने इनकी फोटोग्राफी को खूब पसन्द किया है। भालचंद्र मोंढे को प्यार से भालू भी कहते हैं।

मिला हिन्दी को महत्व-

सुशील जी ने पुरस्कार के बाद मीडिया से मुलाकात की और अपने बारे में बताते हुए कहा कि अपने पूरे जीवन में कमेंटेटर का सफर काफी मजेदार रहा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इतने बड़े सम्मान से नवाजा़ जायेगा। यह सम्मान से लोगो को यह तो पता चल ही गया कि हिन्दी का वर्चस्व भी कम नहीं है। आज के इस आधुनिक समय में अंग्रेजी को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। लेकिन इस सम्मान से इतना तो पता ही चल गया कि हिन्दी का महत्व भी है। लोग अब शायद हिन्दी के महत्व को तवज्जो दें।

मेहनत का नतीजा-

फोटोग्राफर भालचंद्र मोंढे, जिन्हे भालु भी कहा जाता है। इन्होने कहा कि मैंने तो पद्मश्री सम्मान के लिये आवेदन भी नहीं किया था। यह तो मेरे लिये एक सरप्राइज़ ही था। यह तो मेरी उम्मीद से बढ़कर मुझे मिल गया। फोटोग्राफी के क्षेत्र में श्वेत श्याम फोटोग्राफी से लेकर रंगीन और डिजिटल फोटोग्राफी तक का सफर के बारे में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हुं कि मेरी ये इच्छा थी की मैं इस क्षेत्र में काम करूं। मेरा हमेशा से ही शोक रहा है कि मैं फोटग्राफी करूं और शायद इसी लगन से मैं आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं। आज के इस स्मार्ट समय में फोटोग्राफी करना अब बहुत कठिन हो गया है।

क्योंकि काफी अच्छे मोबाईल फोन आ गयो हैं और हर व्यक्ति फोटो खींचता है। ऐसे में नये लोगो को फोटोग्राफर बनने के लिये सिर्फ लगन चाहिए। क्योंकि फोटो खींचने से ही एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन जाते इसके लिये तकनीक की समझ और ज्ञान भी जरूरी है। मैंने मघ्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को अपना कैनवास रखा। अपने फोटो से मैंने सिर्फ राज्य के प्राकृतिक वैभव और पर्यटन को नई ऊंचाइयां देने का काम किया।

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