कांग्रेस द्वारा बनाए गए वक्फ कानून में कोई बदलाव नहीं चाहते ओवैसी, सरकार को दे डाली बड़ी धमकी...!

कांग्रेस द्वारा बनाए गए वक्फ कानून में कोई बदलाव नहीं चाहते ओवैसी, सरकार को दे डाली बड़ी धमकी...!
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नई दिल्ली: कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ कानून पर हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्ष की मांग पर सरकार ने इसे JPC को भेजा था, अब JPC की भी बैठकें खत्म हो चुकी हैं और कुल 14 संशोधनों को बहुमत से मंजूरी मिली है । किन्तु उसी JPC के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी अब भी धमकी भरे लहजे में वक्फ संशोधन का विरोध कर रहे हैं और उनकी भाषा भी मुस्लिम समुदाय को भड़काने वाली है। 

दरअसल, कांग्रेस सरकार ने जो कानून बनाया था, उसके अनुसार, वक्फ बोर्ड चाहे जिस भी जमीन पर दावा कर सकता था और इसमें कोर्ट और सरकार भी कुछ नहीं कर सकती थी। जिसकी जमीन छीनी गई, अगर उसे कोई फ़रियाद करनी होती थी, तो उसे वक्फ ट्रिब्यूनल के पास जाकर ही हाथ फैलाने पड़ते थे। मोदी सरकार ने इस,में पीड़ितों को कोर्ट जाने की अनुमति देने समेत कुछ महत्वपूर्ण संशोधन सुझाए थे, जिससे वक्फ की मनमानी पर रोक लगे, किन्तु कांग्रेस-सपा-TMC समेत पूरा विपक्ष इसके विरोध में उठ खड़ा हुआ और JPC की मांग करने लगा। जिसके बाद सरकार ने बिल को चर्चा के लिए JPC में भेजा, जिसमे विभिन्न दलों के सांसदों को सदया बनाया गया और बिल पर चर्चा हुई। हालाँकि चर्चा के दौरान भी जमकर हंगामा हुआ, किन्तु आखिरकार बहुमत से सत्ता पक्ष के संशोधन स्वीकार कर लिए गए, पर ओवैसी को अब भी वो स्वीकार नहीं हैं। ''कांग्रेस ने मुल्ज़िमों के साथ न्याय नहीं किया'' कहने वाले ओवैसी अब चाहते हैं कि वक्फ कानून जैसा कांग्रेस ने बनाया था वैसा ही रहे।  

 

उन्होंने तो यहाँ तक धमकी दी है कि अगर यह कानून मौजूदा स्वरूप में पारित हुआ, तो देश में सामाजिक अस्थिरता बढ़ सकती है। इसे सीधे तौर पर दंगे और हिंसा की चेतावनी आना जा सकता है। ओवैसी का दावा है कि, "पूरी मुस्लिम बिरादरी ने इस कानून को खारिज कर दिया है। अगर इसे जबरन लागू किया गया, तो वक्फ संपत्तियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। सरकार देश को 80 और 90 के दशक में वापस ले जाना चाहती है, लेकिन इसके गंभीर परिणाम होंगे।"  अब वो गंभीर परिणाम क्या होंगे, ये भी सोचने वाली बात है। हिन्दू समुदाय के लोग तथ्य होते हुए भी कशी-मथुरा वापस नहीं मांग सकते, क्योंकि कांग्रेस ने पूजा स्थल कानून बनाकर इस पर रोका लगा दी है और अब पूरे देश का गैर-मुस्लिम समुदाय वक्फ द्वारा हड़पी गई अपनी संपत्ति के खिलाफ भी कोर्ट नहीं जा सकता क्योंकि, कांग्रेस ने वक्फ कानून बनाकर उस पर भी रोक लगा दी है। यानी इन दोनों सूरतों में गैर-मुस्लिमों को कोर्ट जाने की इजाजत नहीं है, संविधान द्वारा दिया गया न्याय का अधिकार कांग्रेस के इस कानून के सामने खत्म हो जाता है। 

ओवैसी ने ये भी धमकी दी है कि, अगर कानून में बदलाव किए गए और देश में कुछ हुआ, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की ही होगी। यानी दंगे हिंसा हुए, तो उसकी जिम्मेदार सरकार ही होगी। क्या इसे ऐसा समझा जा सकता है कि, या तो जमीन हड़पने दो, वरना हम दंगे करेंगे ? और जमीन अगर तुम्हारी ही है, तो उसे कोर्ट के जरिए भी लिया जा सकता है, जैसा आम मामलों में होता है, फिर वक्फ क्यों ? तो आपको बता दें कि वक्फ बोर्ड वाले, सदियों पुराने किसी नवाब, मुग़ल बादशाह आदि का फरमान लेकर आते हैं और कहते हैं कि फलाने समय में उस बादशाह ने ये जमीन दान की थी, इसलिए ये जमीन वक्फ की है। वैसे इस हिसाब से देखा जाए, तो क्या राजपूतों-सिखों-प्रतिहारों, आदि शासकों ने कोई जमीन दान नहीं की ? तो क्या उनके वंशज उस जमीन पर अपना दावा करने लगें ? 

1947 में देश की आज़ादी के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में तमाम राजाओं ने अपनी संपत्ति राष्ट्र को समर्पित कर दी थी।  तो फिर वक्फ कहाँ से आ गया ? इस हिसाब से तो उन राजाओं के वंशजों को भी अपनी जमीन वापस मिलनी चाहिए । टोडरमल ने सोने की मुहरें बिछाकर गुरु साहब के परिजनों का अंतिम संस्कार करने की जगह मुगलों से खरीदी थी, तो क्या अब टोडरमल के वंशज उस जमीन पर कब्जा कर लें ? वैसे, ओवैसी को जवाब तो संसद में सत्ता पक्ष का कोई सांसद जवाब देगा ही, किन्तु देश की जनता की इसमें क्या जिम्मेदारी बनती है ? क्या वो भी इस काले कानून का समर्थन करने वाले लोगों को जवाब देगी ?

 

 

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