ओशो ने बताया 'गुरु' का सही अर्थ
ओशो ने बताया 'गुरु' का सही अर्थ
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27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी जिसका हिन्दू धर्म में काफी महत्व है. आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है जिसमें खास तौर पर गुरुओं का पूजन किया जाता है. लेकिन ओशो के अनुसार गुरु पूर्णिमा का अर्थ ही अलग होता है. ओशो एक धार्मिक प्रवक्ता है जो अपने प्रवचन से सभी को कुछ ना कुछ सिखाते हैं. ऐसे ही उनकी नज़र में गुरु पूर्णिमा का अर्थ अलग है. उन्होंने कहा है गुरु पूर्णिमा के चाँद की तरह किसी भी पूर्णिमा का चाँद नहीं होता. लेकिन आषाढ़ का चाँद बादलों से ढंका हुआ होता है ठीक उसी तरह जिस तरह गुरु शिष्यों से घिरे हुए होते हैं.

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ओशो ने गुरु पूर्णिमा का बहुत ही अच्छा महत्व बताया है. उन्होंने बताया है गुरु शब्द दो अक्षरों से बना है 'गु' और 'रु'. जी हाँ, उन्होंने बताया ये दोनों अक्षर संस्कृत से लिए गये हैं जिसमें 'गु' का अर्थ होता है 'अंधकार' और 'रु' का अर्थ होता है जो आपके जीवन से उस अंधकार को मिटाता है उसे गुरु कहा गया है. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि 'गुरु है पूर्णिमा का चांद.' वाकई उन्होंने गुरु के मायने हमारे लिए भी बदले हैं.

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गुरु ओशो के बारे में बता दें, इनका जन्म 1931 में भारत के कुचवाड़ा शहर में हुआ था. उन्होंने 21 साल की उम्र में ही अपने जीवन को इस तरह बना लिया था जिससे वो हमेशा ही दूसरों से अलग बना रहे. 70 के दशक में उन्होंने अपनी धार्मिक यात्रा की और अब वो संसार में अपने ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं. 

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