जैविक खेती ने खोले कृषक लेखराज के लिए उन्नति के द्वार हल्दी की जैविक खेती बनी आय में वृद्धि का स्त्रोत
जैविक खेती ने खोले कृषक लेखराज के लिए उन्नति के द्वार हल्दी की जैविक खेती बनी आय में वृद्धि का स्त्रोत
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परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के अन्तीर्गत इंदौर जिले में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके द्वारा पर्यावरण संरक्षित कृषि को बढ़ावा देकर पैदावार में वृद्धि हेतु रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम की जा रही है। परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत जिले में 10 जैविक क्लस्टर बनाए गए हैं। इनमें से एक क्लस्टर जिले के महू विकासखंड के ग्राम दतोदा में भी बनाया गया है। उक्त ग्राम पंचायत में जैविक खेती अपनाने वाले 50 किसानों का प्रशिक्षण उपरांत एक समूह तैयार किया गया हैं। इसी समूह के सदस्य है कृषक लेखराज पाटीदार जो हल्दी की जैविक खेती कर अपनी आय दुगनी कर उन्नति के पथ पर अग्रसर है। 

भारत में हल्दी अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। इसलिए शुद्ध हल्दी की मांग देश एवं प्रदेश में प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जैविक खाद का प्रयोग कर तैयार की गई यह शुद्ध हल्दी लेखराज पाटीदार की आय में वृद्धि का नया स्त्रोत बन रही है। कृषक लेखराज पाटीदार बताते हैं कि वे पिछले चार वर्षों से जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने आत्मा परियोजना के निर्देशों के अनुपालन में रासायनिक खेती की जगह जैविक खेती करना शुरू किया। इसके तहत उन्होंने हल्दी की जैविक खेती प्रारंभ की। जैविक फसलों को उगाने के लिए जिन भी संसाधनों जैसे वर्मी कंपोस्ट, पांच पत्ती काढ़ा आदि की आवश्यकता होती है उन्हें भी अपने खेत पर ही तैयार करते हैं। वे बताते हैं कि इसके साथ ही फसलों में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में बना रहे इसके लिए उन्होंने खेती में जैविक खाद का प्रयोग किया। हल्दी की प्रोसेसिंग यूनिट घर पर ही निर्मित कर उन्होंने हल्दी पाउडर तैयार करना शुरू किया।

कृषक लेखराज ने उपभोक्ताओं को तैयार किये गये हल्दी पाउडर का विक्रय करना भी शुरू किया। इससे उन्हें प्रति किलो हल्दी पाउडर पर बाजार में चल रहे भाव से लगभग 100 रुपए ज्यादा मुनाफा होने लगा। इस प्रकार कृषक लेखराज ने एक एकड़ पर की गई हल्दी की खेती से लगभग 9.5 कुंटल हल्दी पाउडर प्राप्त किया, जिसे 250 रूपये प्रति किलो के भाव से बेचने पर उन्हें दो लाख 37 हजार 500 रूपये प्राप्त हुए। अतः हल्दी की जैविक खेती से प्रति एकड़ उन्हें 1 लाख 64 हजार का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती से उन्होंने खेती में होने वाले खर्चों को कम किया साथ ही शुद्ध हल्दी होने के कारण बाजार से अच्छा मूल्य भी प्राप्त हुआ।

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