RTI में संशोधन को लेकर हो रहा है विरोध
RTI में संशोधन को लेकर हो रहा है विरोध
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नई दिल्ली : सरकार के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम ,2005 में संशोधन का कई राजनितिक दल और सामाजिक कार्यकर्ता  विरोध कर रहे हैं। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 पेश किया था। विरोध कर रहे लोगों का मानना  है कि इससे देश में यह पारदर्शिता पैनल कमजोर होगा। विधेयक को पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मसौदा विधेयक केंद्रीय सूचना आयोग की स्वतंत्रता को खतरा पैदा करता है।

कांग्रेस के ही शशि थरूर ने कहा कि यह विधेयक वास्तव में आरटीआई को समाप्त करने वाला विधेयक है जो इस संस्थान की दो महत्वपूर्ण शक्तियों को खत्म करने वाला है। एआईएमआईएम के असादुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक संविधान और संसद को कमतर करने वाला है। इस पर केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में आरटीआई आवेदन कार्यालय समय में ही दाखिल किया जा सकता था।

लेकिन अब आरटीआई कभी भी और कहीं से भी दायर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सीआईसी के चयन के विषय पर आगे बढ़कर काम किया है। सोलहवीं लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं था।  ऐसे में सरकार ने संशोधन करके इसमें सबसे बड़ी पार्टी के नेता को जोड़ा जो चयन समिति में शामिल किया गया।

सरकार का इस बिल पर ये पक्ष है -

  • RTI से जानकारी लेना आसान होगा
  • RTI से जुड़े प्रबंधन में आसानी होगी
  • पारदर्शिता लाना, सरकार की प्राथमिकता
  • 2005 में जल्दबाज़ी में लाया गया बिल
  • क़ानून बनाते वक़्त सही नियम नहीं बने
  • RTI क़ानून को मज़बूत कर रही है सरकार

कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, बीएसपी, एसपी जैसी विपक्षी पार्टीयां इस बिल के विरोध में है। 

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