कटाक्ष: गजब निराला सेल का खेल
कटाक्ष: गजब निराला सेल का खेल
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सेल लगी हो और महिलाएं न जाएं, ये तो हो ही नहीं सकता। लेकिन गजब है ये  सेल का मामला भी। कोई त्योहार आया नहीं कि आॅनलाइन सेल शुरू। अब देखो 15 अगस्त आ रहा है, तो सभी आॅनलाइन शॉपिंग  वेबसाइट ने अपनी सेल शुरू कर दी। अब  सेल का ये खेल तो देखो कि कहने को तो है सेल लेकिन इस सेल के चक्कर में अच्छे—अच्छों की रेल बन जाती है। 

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कल हमारे पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी घर आए, हमेशा मुस्कुराने वाले शर्मा जी का उतरा चेहरा देखकर हमने पूछ लिया भाईसाहब क्या बात है?  बोले  कुछ मत पूछिए बहनजी , अब 15 अगस्त की सेल आ रही है, तो बजट गड़बड़ होने का खतरा है। हमने कहा कैसे, सेल है,  तो सस्ता सामान मिलेगा न। वे बोले अरे काहे की सेल, ये सेल हमारी रेल बना देती हैं। अब सेल आएगी और घर का सामान खरीदा जाएगा। घर के पर्दे से लेकर नए बर्तन तक। फिर बाद में पर्दे से सोफा कवर  मैच नहीं होगा,  तो सोफा कवर लाया जाएगा, फिर उसके हिसाब से कुशन कवर से लेकर बेडशीट तक।  फ्लॉवर पॉट से लेकर क्रॉकरी तक नई आएगी, चाहे घर में  कितना सामान रखा हो। ये सेल नहीं जी का जंजाल बन गया है। क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने में महीनों लग  जाएंगे, लेकिन इस बीच कोई दूसरी सेल आकर फिर बजट का खेल बिगाड़ देगी, ये सेल का खेल समझना आसान नहीं है। 

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वैसे शर्मा जी ने सही ही कहा, सेल का खेल है तो निराला। सेल के चक्कर में सामान लेना और सामान लेने के बाद उसकी मैचिंग के चक्कर में अगली सेल का इंतजार। सेल से कंपनियां तो आबाद होती हैं और हम बर्बाद। इसलिए भई हमें तो समझ आ गया ये सेल का खेल, अगर आपको भी आ गया, तो जी तौबा रे तौबा, कंपनियों की साजिश में नहीं आने का। 

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