अंतर्राष्ट्रीय एथलेटिक्स अब एक बड़ी मुसीबत में आ चूका हैं. एथलेटिक्स में प्रतिबन्धित या परफॉरमेंस बढ़ाने वाले पदार्थो के सेवन की बात कही जा रही हैं. डोपिंग की यह बात एक रिपोर्ट में सामने आयी हैं. रिपोर्ट के अनुसार 2001 से 2012 के बीच हुए ओलम्पिक और अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में एक तिहाई मेडलिस्ट ने जितने के लिए डोपिंग का सहारा लिया था. यह रिपोर्ट इंटरनेशनल एसोसिएशंस ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशंस (आईएएएफ) के व्हिसिल ब्लोअर ने ब्रिटिश अख़बार 'द संडे टाइम्स' और जर्मन ब्रॉडकास्टर 'एआरडी’ को दी थी. डोपिंग की यह बात 5000 एथलीटों के 12,359 ब्लड टेस्ट सैंपल्स लेने के बाद उनके नतीजों से सामने आयी हैं.
विशेषज्ञों का यह भी कहना हैं कि मेडल जीतने वाले 800 एथलीटों के ब्लड टेस्ट के नतीजे संदेह में हैं. वही लंदन ओलम्पिक में 10 पदक ऐसे खिलाड़ियों के नाम है जिनके ब्लड सेम्पल संदिग्ध थे. रूस और केन्या के एथलीट इस शक के दायरों में सबसे आगे हैं. संदिग्ध खिलाड़िओं में सबसे अधिक साइक्लिस्ट हैं. इस रिपोर्ट में यह भी बात सामने आयी हैं कि उसैन बोल्ट, मोहम्मद फराह जैसे टॉप एथलीट्स के ब्लड सेम्पल संदिघ्ध नही हैं. इन आरोपों के बाद वाडा प्रमुख क्रेक रीडी का कहना हैं कि वे इसकी जांच करवाएंगे और वे उम्मीद करते हैं कि आईएएएफ इसे गंभीरता से लेकर उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर आगे कि कार्यवाही करेगा.
इस रिपोर्ट के बाद ब्रिटिश एथलीट और प्रशासक सेबेस्टियन ने कहा उन्हें मौका मिलने पर वे एथलेटिक्स के लिए नई डोपिंग एजेंसी भी बनवायेंगे. सेबेस्टियन 19 अगस्त को होने वाले आईएएएफ के अध्यक्ष पद के लिए सर्गेई बुबका के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.