एक आंदोलन ने बदल दिया वृंदा करात का जीवन
एक आंदोलन ने बदल दिया वृंदा करात का जीवन
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नईदिल्ली। वृंदा करात भारत की एक जानी मानी नेत्री हैं। उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से 11 अप्रैल वर्ष 2005 में राज्यसभा के लिए चुना गया। वृंदा करात माकपा पोलित ब्यूरो की पहली महिला सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुई थीं। वे एडवा के उपाध्यक्ष पद पर रही हैं। उनका जन्म 17 अक्टूबर 1947 में कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता सूरज लाल दास लाहौर में रहा करते थे।

वृंदा की दो बहनें और एक भाई हैं। उनकी माता अश्रुकोना मित्रा का निधन जब वे 5 वर्ष की थीं तभी हो गया था। उन्होंने 16 वर्ष की आयु में डिप्लोमा कर लिया था। इसके बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कालेज में वर्ष 1971 में इतिहास विषय में स्नातक पाठ्यक्रम का अध्ययन करने पहुंची। स्नातक में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1967 में लंदन का रूख कर लिया।

करीब 4 वर्षों तक वे एयर इंडिया के साथ काम करती रहीं। वृंदा करात ने वर्ष 1971 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया। दरअसल उस दौर में लड़कियों पर एयरइंडिया की नौकरी में रहते हुए स्कर्ट पहननने के लिए दबाव डाले जाने पर संघर्ष किया। बाद में वे नौकरी से अलग होकर भारतीय राजनीति में आ गईं।

उन्होंने माकपा की सदस्यता ली। राजनीति को बेहतर तरह से समझने के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया। उन्होंने बांग्लादेश युद्ध के दौरान शरणार्थी शिविरों में कार्य किया। इसके बाद वे 1975 में दिल्ली पहुंच गईं। वहां उन्होंने कपड़ा मिल में काम करने वाले मजदूरों के बीच ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता के तौर पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया। उन्होंने माकपा के महासचिव और छात्र जीवन में अपने साथी प्रकाश करात से विवाह किया।

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