Kaal Sarp Dosh- कालसर्प योग सबसे अशुभ योगों में से एक कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को लेकर अलग अलग मत है। कालसर्प योग 2 पाप ग्रहों से मिलकर बना हुआ है, जिन्हें राहु और केतु कहा जाता है। बता दें कि राहु को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख ग्रह कहा गया है। ये भम्र और जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं का कारक भी कहा जाता है। ये शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल प्रदान करता है। कालसर्प दोष की स्थिति में ये मनुष्य से ज्यादा संघर्ष करवाता है।
केतु को मोक्ष औेर शोध आदि का कारक कहा जाता है। केतु जब कुंडली में मजबूत होता है तो व्यक्ति रिसर्च आदि में विशेष सफलता हासिल कर लेता है। कालसर्प दोष कुंडली में होने पर ये हर कार्य में बाधा प्रदान करता है। राहु केतु के मध्य जब सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष की स्थिति बन जाती है। राहु केतु को एक सर्प के बराबर कहा गया है। जिस प्रकार सर्प की जकड़ से निकल पाना कठिन होता है उसी प्रकार जब कालसर्प योग बनता है तो उसे सालों साल संघर्ष से जूझना पड़ता है, तब कहीं जाकर उसे सफलता मिलती है।
मेष और तुला राशि पर वर्तमान वक़्त में राहु और केतु विराजमान हुए है। इसलिए इन राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इस दौरान इन राशि वालों को जीवन में अचानक धन की हानि, जॉब में परेशानी और सेहत संबंधी दिक्कतों को भी झेलना पड़ता है। राहु केतु के अशुभ प्रभाव बचने के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना बहुत ही ज्यादा जरुरी है। राहु केतु को शुभ रखने के लिए नशा आदि से दूर रहना चाहिए। बुरी संगत का त्याग करना चाहिए। भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने से इन ग्रहों की अशुभता दूर हो जाती है।
रक्षाबंधन के दिन थाली में जरूर होनी चाहिए ये सामग्री
रक्षाबंधन पर भूलकर भी न करें ये 4 काम वरना सब हो जाएगा बर्बाद
रक्षाबंधन: सुबह 9 बजे से लगेगा भद्रा लेकिन इस शुभ मुहूर्त में दिन में बाँध सकते हैं राखी