बेहद ही खौफनाक है हिरोशिमा का इतिहास, पढ़कर कांप जाएगी आपकी रूह
बेहद ही खौफनाक है हिरोशिमा का इतिहास, पढ़कर कांप जाएगी आपकी रूह
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आज से ठीक 76 वर्ष पूर्व  6 अगस्त 1945 यानि आज ही के दिन अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु हमला कर दिया था। जिसके तीन दिन के उपरांत ही जापान के नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम गिरा दिया था। दोनों शहर लगभग पूरी तरह तबाह हुए। 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई और जो बच गए, उनकी जिंदगी नर्क से बदतर हुई। तो चलिए जानते है दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी के बारे में...

साल 1945 में दूसरे वर्ल्ड वॉर निर्णायक दौर में पहुंच रहा था। मित्र देशों की जीत लगभग तय हो गई थी। जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया था और सिर्फ जापान ही था जो मित्र देशों को टक्कर देता हुआ नजर आ रहा था। वहीं जुलाई वर्ष 1945 में अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत संघ के नेता जोसेफ स्टालिन जर्मनी के शहर पोट्सडम में मिल गए। यहां तय हुआ कि यदि जापान बिना किसी शर्त के समर्पण नहीं करता है तो उसके विरुद्ध सख्त कदम उठाने पड़े।

हिरोशिमा में 1.40 लाख की जानें गईं: 6 अगस्त 1945 को सुबह के तकरीबन 8 बजे हिरोशिमा पर परमाणु बम का जोरदार हमला हुआ। ये हमला इतना जबरदस्त था कि देखते ही देखते 1.40 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई। बम धमाकों के उपरांत तापमान इतना अधिक बढ़ गया कि लोग जलकर खाक हो चुका है। एक मिनट के अंदर ही हिरोशिमा शहर का 80 फीसदी भाग राख हो गया। तबाही यही नहीं रुकी। जिसके उपरांत हजारों लोग परमाणु विकिरण से जुड़ी बीमारियों के चलते मौत का शिकार हुए। एक अध्ययन से पता चला कि बम गिरने की जगह के 29 किलोमीटर क्षेत्र में काली वर्षा हुई। इससे मौतें बढ़ीं और इस काली बारिश ने अपने संपर्क में आने वाली सभी चीजों को भी दूषित कर दिया।

नागासाकी में तकरीबन 70 हजार लोग मारे गए: जापान इस हमले से संभल पाता, इससे पहले ही अमेरिका ने 9 अगस्त को नागासाकी में दूसरा परमाणु बम से हमला कर दिया था। 3 दिन के अंदर हुए इन दो अटैक से जापान पूरी तरह बर्बाद हो गया। मरने वालों की सटीक संख्या का आज तक पता नहीं चला पाया है। कहा जाता है कि हिरोशिमा में 1.40 लाख और नागासाकी में तकरीबन 70 हजार लोग मौत का शिकार हुए थे। जिसके साथ साथ हजारों लोग घायल हुए। जापान के लोगों में आज भी इस त्रासदी जख्म मौजूद हैं।

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