23 मई को एक साथ एक लाख लोग लेंगे शाकाहार का संकल्प
23 मई को एक साथ एक लाख लोग लेंगे शाकाहार का संकल्प
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उज्जैन। बाबा जयगुरुदेव महाराज की पुण्यतिथि पर बाबा उमाकान्त जी महाराज के सानिध्य में 22 मई से 24 मई तक मनाये जा रहे बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का भण्डारा एक विश्व कीर्तिमान रचने जा रहा है, जिसके अन्तर्गत 23 मई को शाम 7 बजे एक लाख लोग एक साथ बैठकर शाकाहारी होने का संकल्प लेंगे और इस ऐतिहासिक उपलब्धी को गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा। इस कार्यक्रम में हर जाति, मजहब हर वर्ग के लोग रहेंगे।

देश विदेश के लाखों भक्तों की अगुवानी करने के लिए जयगुरुदेव आश्रम में भव्य तैयारियां चल रही हैं। हजारों ढ़ेरे रावटियां, लगभग 115 भोजन भण्डारे, हजारों शौचालय, सुरक्षा व्यवस्था, परिवहन, सफाई जैसे अनेक विभागों के माध्यम से बाबा के भक्त आने वालों की सेवा में तत्पर रहेंगे। 22 से 24 मई तक जयगुरुदेव आश्रम में आयोजित होने वाले बाबा जयगुरुदेव महाराज के रहस्यमयी भण्डारे के बारे में बाबा उमाकान्त महाराज ने बताया कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में लोगों को शाकाहारी, सदाचारी रहने का संदेश देने के साथ जीते-जी उस भगवान को पाने का रास्ता यानी नामदान दिया जाएगा, जिसे सभी धर्म-जाति के लोग अपनाकर उस भगवान, खुदा, गॉड का दर्शन कर सकते हैं। इतना ही नहीं 22 तारीख के दिन बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था, उज्जैन द्वारा जिले के प्रावीणय सूची में आने वाले विद्यार्थीयों और उनके शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। जिससे दूसरे छात्रों, शिक्षकों, को प्रेरणा मिल सके। महाराजजी ने कहा कि शाकाहारी, सदाचारी व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाया जाये तो यह देश के लिए अच्छा होगा और यदि देश की जनता को राष्ट्रपति चुनने का अधिकार दे दिया जाये तो यह भी राष्ट्र के लिए हितकारी होगा।

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उमाकांत महाराज ने कहा कि शाकाहारी रहना मनुष्य के जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है। शाकाहार से दिल-दिमाग बुद्धि तो सही रहती ही है, रोगों से भी निजात मिलती है। इसलिए दया भाव लोगों को रखना चाहिए। अगर लोग शाकाहार का संकल्प ले लें तो बहुत से जीवों की जान बच जाएगी। इस समय की जो व्यवस्था है, उससे व्यवस्था कभी सही होने वाली दिखाई नहीं पड़ रही है, न्याय सुरक्षा किसी को मिलने के आसार दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। रोजी-रोटी की समस्या हल होती दिखाई नहीं दे रही है। इसलिए प्रबुद्ध लोगों को बैठ करके संविधान में संशोधन ही नहीं परिवर्तन करना चाहिए, जिससे की अधिकारी, कर्मचारी, न्यायाधीश, व्यापारी स्वतंत्र रूप से काम कर सकें।

स्कूल से निकलने के बाद बच्चों को रोजगार मिल सके। नैतिक शिक्षा जगह-जगह पर होनी चाहिए। जब तक नैतिकता नहीं आएगी, तब तक त्याग सेवा की भावना लोगों के अन्दर नहीं आएगी। तब तक कभी भी देश ना विकास कर सकता है और ना मानव विकास कर सकता है। विकास दिखाई तो पड़ेगा लेकिन उसके साथ विनाश जुड़ा रहेगा। इसलिए विकास को स्थाई रखने के लिए विचार-विमर्श सबको करने की जरूरत है।

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