जेटली ने संवैधानिक सिद्धांतों पर कांग्रेस की खिंचाई की
जेटली ने संवैधानिक सिद्धांतों पर कांग्रेस की खिंचाई की
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नई दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि जिन लोगों ने देश में आपातकाल लगाया, वे आज संवैधानिक सिद्धांतों की बात कर रहे हैं। जेटली ने राज्यसभा में कहा, आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे। आपातकाल के दौरान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को समझाया था कि आपातकाल के दौरान जनता का जीने का अधिकार और (संविधान के) अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त आजादी समाप्त हो जाती है। केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा, आपातकाल के बाद अनुच्छेद 21 को निलंबित न करने का प्रावधान किया गया। यानी आज हम अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित हैं। जिन लोगों ने आपातकाल का समर्थन किया था, वे आज संवैधानिकता की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हिटलर के शासन में संविधान व उनके प्रावधानों को विकृत किया गया था।

आपने लोगों पर आपातकाल थोपा, विपक्षी नेताओं को हिरासत में लिया, समाचार पत्रों पर सेंसर लगाया और जबरदस्ती 25 सूत्री आर्थिक कार्यक्रम को थोपा। जेटली ने एक समान नागरिक संहिता व गोहत्या पर निषेध से संबंधित संविधान के प्रावधानों अनुच्छेद 44 और 48 का अनुपालन न करने के लिए कांग्रेस पर चुटकी ली। उन्होंने कहा, क्या अंबेडकर ने अनुच्छेद 44 व 48 को आज प्रस्तावित किया है, सदन ने जिस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की, उससे मैं हतप्रभ हूं। जेटली ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 48 के तहत राज्यों को कानून बनाने के लिए कहा था, और केरल व पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने ऐसा किया। न्यायपालिका की भूमिका पर जेटली ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की बुनियादी रचना का हिस्सा है।

जेटली ने कहा, विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के बीच अधिकारों का विभाजन उन प्रमुख विचारों में से एक था, जो हमें अंबेडकर ने दिया। मुठभेड़ के दौरान कितनी गोलियां चलेंगी, इसका निर्धारण न्यायपालिका नहीं कर सकती। जेटली संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती पर राज्यसभा में एक चर्चा के दौरान बोल रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को संसद में कहा था कि संविधान में निहित सिद्धांतों और आदर्शो पर जानबूझकर हमले किए जा रहे हैं। जेटली ने अंबेडकर के बारे में कहा, अंबेडकर न सिर्फ हमारे संविधान के निर्माता हैं, बल्कि वह एक सामाजिक सुधारक भी हैं। उन्होंने कहा, अंबेडकर ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने सामाजिक अन्याय से बचने और भेदभाव से लड़ने का रास्ता दिखाया।

पिछले 65 वर्षो के दौरान लोकतंत्र मजबूत हुआ है। जेटली ने राज्यसभा में कहा, अंबेडकर के संविधान में मजहब को खारिज किया गया है। संविधान धर्म का समर्थन या विरोध नहीं करता। इसमें कहा गया है कि राज्य धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। आतंकवाद पर जेटली ने कहा, आज की तारीख में संवैधानिक प्रक्रिया में आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने साल 1993 में मुंबई बम कांड में शामिल रहे फांसी की सजा पाए याकूब मेमन की ओर इशारा करते हुए कहा, हमें आतंकवाद का सामना करने की जरूरत है। जब आतंकवाद के दोषियों को दंडित किया गया, तो कुछ लोगों ने उन्हें शहीद बताया। अगर आज अंबेडकर होते तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होती।

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