श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तालिबान के साथ वार्ता की खबर पर केंद्र सरकार पर जुबानी हमला किया है. उमर ने सरकार पर सवाल दागते हुए कहा है कि जब सरकार अफगानिस्तान की शांति के लिए तालिबान के साथ वार्ता कर सकती है तो फिर जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों के साथ बातचीत करने में उसे क्या परेशानी है? उमर के इस सवाल के साथ ही इस पूरी वार्ता के साथ नया विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल, भारत ने शुक्रवार को रूस की राजधानी मॉस्को में होने वाली एक मीटिंग में तालिबान के साथ गैर-आधिकारिक तौर पर वार्ता के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.
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उमर ने कश्मीर में जारी संघर्ष को अफगानिस्तान के सामानांतर बताते हुए कहा कि जब भारत सरकार अफ़ग़ानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए तालिबान से वार्ता कर सकती है तो उसे कश्मीर के अलगाववादियों से क्या समस्या है, सरकार अलगाववादियों से बात करने से क्यों इंकार कर देती है. हालांकि, विदेश मंत्रालय की ओर से साफ कर दिया गया है कि वार्ता पूरी तरह से गैर-आधिकारिक स्तर की है. इस वार्ता में विदेश मंत्रालय की ओर से कोई भी आधिकारी हिस्सा नहीं लेगा.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की ओर से एक सवाल के जवाब में कहा गया, 'हम जानते हैं कि रूस की सरकार की ओर से अफगानिस्तान पर नौ नवंबर को एक मीटिंग का आयोजन कर रहा है, भारत इस वार्ता में गैर-आधिकारिक तौर पर शामिल रहेगा. भारत की तरफ अफगानिस्तान में पूर्व राजदूत रहे अमर सिन्हा के अलावा पाकिस्तान में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन वार्ता में शामिल होंगे, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय का कोई अधिकारी इस बैठक में शामिल नहीं होगा.
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