मध्यप्रदेश में एक लंबे समय से जहां कुपोषण एक गंभीर समस्या बना हुआ है तो दूसरी ओर अधिकारी अब चेते हैं। इस बात की मिसाल श्योपुर जिले में देखने को मिली, श्योपुर जिले में पिछले दो महीनों में डायरिया और कुपोषण से हुई 40 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई लेकिन इन मौतो के दो महिनों के बाद सोमवार को शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव गोरी सिंह एवं महिला बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव जेएन कंसोटिया सहित अन्य विभागीय अफसर मौतों की जांच करने घटना स्थल पहुंचे।
अधिकारी इस समस्या को लेकर कितने गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हालात का जायजा लेने के लिए जिले के दौरे पर पहुंचे आला अफसरों ने बच्चों की मौत के मातम में डूबी गांव की आदिवासी महिलाओं को देसी भजन गाने को कहा। बाद में पूछने पर आदिवासियों का कहना था कि साहब ने भजन गाने को कहा। हमने भजन गाकर सुनाया, उसके बाद साहब लोग चले गए।
ध्यान देने वाली बात है कि पिछले कुछ दिनों से बीमारी एवं कुपोषण से मौतों को लेकर जिला से लेकर राजधानी तक इस बात पर हाय तौबा मची हुई है। ऐसे में जब सरकार ने निर्देश दिये कि विभागीय प्रमुख सचिवों को श्योपुर का दौरा करे। इसके बाद अफसरों की टीम वनांचल के गांव सेसईपुरा पहुंची। अफसरों के आने के बाद यहां चैपाल लगाकर ग्रामीणों से समस्याएं तो पूछी गईं, लेकिन बीमारी एवं कुपोषण से मौतों के संबंध में कोई भी बात अफसरो ने ग्रामीणों से नहीं की। इससे ये बात पता चलती है कि अधिकारी इस समस्या को लेकर कितने गंभीर है ।
अफसरों ने आदिवासी महिलाओं के दूख को नजरअंदाज कर लोकदेवता रामदेवजी के भजन सुनाने की फरमाइश कर दी। गम में डूबी महिलाओं ने भजन सुनाया। अफसरों ने भजन सुना और फिर चले गए। जहां दो महिने में 40 बच्चों की मौत का सवाल है वहां अफसरों द्वारा इस तरह की फरमाइश करना, सरकार की डायरिया और कुपोषण से हुई मौतों को रोकने की कोशिशों पर एक गंभीर सवाल पैदा करता है।