भोपाल : प्रदेश में पदस्थ दो सिविल सेवा अधिकारियों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना दिया है। इस दौरान उन्होंने सरकार पर भेदभाव का आरोप भी लगाया। अधिकारियों द्वारा इस तरह से धरना देकर लगाए जाने वाले भेदभाव के आरोप का संभवतः यह प्रदेश में पहला मामला आया है। इन अधिकारियों में निलंबित आईएएस शशि कर्णावत और आईएएस रमेश थेटे शामिल हैं।
उन्होंने कहा है कि दलित होने के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अपनी दास्ता सुनाते हुए रमेश थेटे तो रोने ही लगे। राजधानी के आंबेडकर पार्क में दलित आदिवासी फोरम के बैनर तले धरने का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले में नोटिस भी जारी किया गया। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें कोई नोटिस मिला तो वे अन्न-जल तक त्याग देंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनकी मृत्यु हो जाए तो उनकी लाश को सीएम हाउस ले जाया जाए। उन्होंने कहा कि नौकरी में जिस तरह का तनाव उन्हें मिला है उससे उनके परिवार पर भी असर पड़ा है। लगातार प्रताड़ना और तनाव से मेरे बच्चों की खुशी और पत्नी की खूबसूरती छिन गई है।
उन्होंने कहा मुख्यमंत्री अच्छे हैं, लेकिन उनके इर्द-गिर्द जो अफसर हैं वे मुझे परेशान कर रहे हैं। उन्होंने इकबाल सिंह बैस, एसके मिश्रा और विवेक अग्रवाल का नाम भी लिया है। विरोध करने वाले आईएएस अधिकारी थेटे ने सफाई देते हुए कहा कि वे धरने में शामिल नहीं हैं वे केवल उद्बोधन देने आए हैं।