ओडिशा: ट्रैन हादसे के पीड़ितों के लिए देवदूत बनकर आए गणेश, बचाई 200 से अधिक लोगों की जान
ओडिशा: ट्रैन हादसे के पीड़ितों के लिए देवदूत बनकर आए गणेश, बचाई 200 से अधिक लोगों की जान
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देश स्तब्ध है. मौन है. आंखें नम हैं. न खबर देख पाने की हिम्मत बची है. न दिल गवारा कर रहा है. बस मन से सोचकर बैठ सकते है कि आखिर उस ट्रेन में जो सफर कर कहीं पहुंचने वाले थे, कई लोगों का इन्तजार हो रहा होगा. उनके क्षत विक्षत शव उनके घर पहुंच रहे होंगे. ओडिशा बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट (Odisha Train Accident) में 280 से अधिक लोगों की मौत हो गई. 900 लोग अभी भी जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहे है. इसी बीच सबका मिशन एक ही है. हर जान बच जाना चाहिए. मरने वालों के आंकड़े में कोई भी वृद्धि नहीं होनी चाहिए है. जिस वक्त ट्रेन भिड़ी और हर तरफ चीख पुकार मची. उस वक्त एक शख्स था जो लोगों की जान बचा रहा था. देवदूत बनकर लोगों को निकाल रहा था. एक-एक जान के लिए ये लड़का किसी भगवान से कम नहीं था.

बहुत तेज सुनी आवाज: ऐसी आपदा के समय 2 तस्वीरों को देखकर नाज भी हो रहा है. गणेश नाम का शख्स घटनास्थल के कुछ पास में ही था. पहले भीषण आवाज ने उसके हाथ पैर कंपा दिए. जिसके उपरांत उसको समझ आ गया था कि बड़ा हादसा हो गया. वो भागकर पहुंचा तो कुछ देर तो उसको कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वो कहां जाए और किसकी सहायता करें. हर तरफ कोहराह था. खून के छींटे थे. तड़पते लोग थे. गणेश ने बिना देर किए एक बोगी में घुसा और लोगों को बाहर निकालने लगा. जो लोग फंसे हुए थे किसी तरह उनको निकाल लिया गया है. इस तरह उसने 200-300 लोगों की जान बचा ली गई है. ऐसे ग़मज़दे माहौल में दो तस्वीरें कुछ राहत तो दे रही हैं.

फंसे लोगों को बाहर निकाला: एक तरफ तो वो लोग जो ये खबर सुनते ही हॉस्पिटल की तरफ दौड़ पड़े. लोग खून देने के लिए लाइनें लगाए हुए हैं. किसी ने कोई अपील नहीं की. कोई कानून नहीं बनाया. लेकिन बस दिल से एक बात निकली हर जान बचाना जरुरी है. अस्पतालों के बाहर लाइनें लग चुकी है. आस पास के लोग भागकर राहत बचाव के लिए आगे आ गए. सेना के जवान, NDRF, SDRF, राज्य पुलिस बल सब के सब लोगों को निकालने में जुट गए. गणेश ने इस बारें में कहा है  कि जितना हो सकता था उसने लोगों को बचा लिया है. हादसे की तस्वीर इतनी खौफनाक हैं कि जिसकी कल्पना भी नही कर सकते. एक ट्रेन के ऊपर दूसरी ट्रेन चढ़ी हुई है. शव पूरी तरह से क्षत विक्षत हो गए हैं. लाशें ऐसी हैं इसकी पहचान कर पाना भी कठिन हो चुका है.

 

हर दिल बैठा सा, हर आंख हुई नम: पूरा देश स्तब्ध है. शोकाकुल परिवारों के ऊपर क्या बीत रही होगी इस बारें में उनसे ज्यादा कोई और नहीं जानता. दिलासा देने वाले दे रहे होंगे लेकिन जिसके परिवार का कोई सदस्य गुजर गया होगा तो भला कौन सी बात उसको राहत पहुंचा सकती है. उसको तो बस कोई ये कह दे कि ये खबर झूठी हैं. बस इसके साथ कुछ और नहीं. आज गणेश जैसे उन लोगों को देश सलाम कर रहा है जो ऐसे वक्त पर दूत बनकर उतर पड़े. लोगों की जानें बचाईं. वरना ये आंकड़ा अनुमान से ऊपर पहुंच जाता. कुछ लोग कैमरे के सामने आ गए मगर बहुत लोग कैमरे पर नहीं आए. वो लोग भी दुर्घटना के उपरांत से घटनास्थल पर मौजूद रहकर लोगों की मदद कर रहे हैं.

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