नई दिल्ली : प्रदूषण की रोकथाम की मंशा से दिल्ली में दूसरे चरण में शुरु किए गए ऑड-इवन फॉर्मूला का आज आखिरी दिन है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि 15 दिन के इस कार्यक्रम में प्रदूषण के स्तर में कोई गिरावट नहीं आई है। स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) की रिपोर्ट की मानें तो राजधानी में न तो प्रदूषण में कोई कमी आई है और न ही वाहनों की संख्या में कोई कमी आई है।
दिल्ली सरकार ने ऑड-इवन फॉर्मूला को सफल करने के लिए अंनत प्रयास किए थे। पूरी दिल्ली को इसी के विज्ञापनों से पाट दिया गया था। जिस पर जाहिर है बेहिसाब रुपए भी खर्च हुए होंगे। एसपीए के सर्वे के अनुसार, दिल्ली में कारों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है।
राजधानी की सड़कों पर ट्रैफिक की बात करें, तो उसमें भी मात्र 1 प्रतिशत की गिरावट आई है। निजी कारों पर नियम लागू होने से टैक्सियों की ताताद बढ़ी है। लोगों ने कार पुलिंग तो की, लेकिन इससे सड़कों पर कारों की संख्या कम नहीं हुई। वहीं दूसरी ओर इसके कारण भ्रष्टाचार में भी वृद्धि हुई।
लोगों ने नकली सीएनजी स्टीकर का भरपूर इस्तेमाल किया। इस दौरान पुरानी कारों का भी बहुत इस्तेमाल हुआ, जिससे प्रदूषण में बढ़त देखी गई। दिल्ली में रोजाना 12 हजार नई गाड़ियां बिक रही है। एसपीए का मानना है कि यह सरकार द्वारा जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। एनपीए के सर्नेनुसार, दिल्ली में 9000 बसों की आवश्यकता है, लेकिन केवल 3000 बसें ही मौजूद रही, इसके कारण भी दिक्कत हुई।