गुवाहटीः 31 अगस्त को असम में एनआरसी की अंतिम लिस्ट जारी की गई। इस लिस्ट को लेकर लोगों में काफी तनाव था। लिस्ट जारी होने के बाद यह विवादों में है। क्योंकि इसमे कई ऐसे व्यक्ति क नाम नहीं है जिन्होंने देश अथवा असम के लिए बलिदान दिया है। ऐसा ही एक नाम है मदन मलिक। मलिक की मौत विदेशियों को असम से खदेड़ने वाले असम आंदोलन में गई थी। एनआरसी की पृष्ठभूमि यही आंदोलन थी।
उनकी 66 साल की पत्नी सरबबाला सरकार ने कहा कि आंदोलन के दौरान विरोधियों ने उनके पति का सिर काट दिया, उनके बलिदान के कारण एनआरसी बनी और मेरा नाम काट दिया गया। अखिल असम छात्र संघ ने मदन के नाम पर शहीद स्मारक भी बनवाया है। सरबबाला कहती हैं कि सरकार ने मेरे पति को शहीद माना, उन्हें मान पत्र दिया, मगर जब एनआरसी में नाम शामिल करने की बारी आई तो मेरी नहीं सुनी गई। गौरतलब है कि असम सरकार कई बार सरबबाला को सम्मानित कर चुकी है।
1985 में मुख्यमंत्री बने प्रफुल्ल महंत ने उन्हें 30 हजार रुपये और मान पत्र दिया था। इसके बाद 2016 में सीएम सोनोवाल ने पांच लाख रुपये और मान पत्र देकर सम्मानित किया। कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़े मोहम्मद सनाउल्लाह का नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं है। राष्ट्रपति पदक से सम्मानित रिटायर्ड जेसीओ सनाउल्लाह की बेटियों और बेटे का नाम भी गायब है। हालांकि उनकी पत्नी को भारतीय नागरिक माना गया है। सनाउल्लाह को इसी साल विदेशी न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित किया था। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अनंत कुमार मालो शनिवार को तब हैरान हो गए जब उनका नाम एनआरसी की अंतिम सूची से गायब था। हालांकि राज्य में बीजेपी के वरिष्ठ नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि उन्हें इस सूची पर भरोसा नहीं है।
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