गुवाहटीः अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के पहचान के लिए सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में असम में दस्तावेजों के सत्यापन का काम चल रहा है। यह काम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) अथॉरिटी कर रही है। इस प्रक्रिया पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। अथॉरिटी दस्तावेज की जांच में गड़बड़ी करने के आरोप में असम सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश पर विचार कर रही है।
सूत्रों के मुकाबिक, कामरूप जिले के डिप्टी कमिश्नर कमल कुमार बैश्य ने दो माह पहले चमरिया के पूर्व सर्किल अधिकारी की कथित गड़बड़ियों को लेकर एक रिपोर्ट एनआरसी राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला को भेजी थी। इस अनियमितता का मामला 2018 में सामने आया था। सूत्रों ने दावा किया कि रिपोर्ट में कहा गया है कि कैसे तत्कालीन सर्किल अधिकारी ने अपना कार्यभार कम करने के लिए सभी प्रभावित लोगों को मूल निवासी बना दिया।
उसने वेरिफिकेशन सूची में हिंदुओं और मुस्लिमों समेत सभी लोगों के लिए ओआई कॉलम पर टिक का निशान लगा दिया ताकि दस्तावेज के क्रॉस जांच के बोझ से बचा जा सके। सूत्रों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला नहीं है। डिप्टी कमिश्नर की जांच में पाया गया कि अधिकारी का काम बहुत ही खराब था और वह अपने काम को लेकर सजग, गंभीर नहीं था। एनआरसी को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है। उनका आरोप है कि सरकार इसके आड़ में सांप्रदायिक राजनीति कर रही है। इस प्रक्रिया के शुरू होने के बाद कई लोगों ने आत्महत्या कर ली। मानवाधिकार कार्यकता इसे लोगों के अधिकार को हनन बता रहे हैं।
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