नई दिल्ली : हाल ही में बाजार से यह जानकारी सामने आई है कि निवेशकों के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयरों में जो पैसा लगाया गया है. उसमे प्रत्येक 100 रुपए पर 150 रुपए के करीब गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का बोझ पड़ा हुआ है. इसके तहत ही यह बात सामने आई है कि सरकारी बैंकों के NPA का यह आंकड़ा 4 लाख करोड़ रुपए के स्तर को भी पार कर चूका है.
यह रकम ऋणदाताओं के बाजार मूल्य की डेढ़ गुना बताई जा रही है. जबकि इसके साथ ही यह बात भी सामने आई है कि निजी क्षेत्र के बैंकों का NPA उसके शेयर भाव के हिसाब से इन बैंकों के मूल्यांकन का 6.6 फीसदी ही है. यदि इस आंकड़े में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एेसे ऋण को शामिल कर लिया जाए जिन्हे कि एनपीए घोषित किया जा सकता है.
तो यह आंकड़े 8 लाख करोड़ रुपए के पार चले जाएंगे. साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि यह समस्या निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए छोटी है. क्योकि इनका सकल NPA 46,000 करोड़ रुपए है, जो उनके कुल बाजार मूल्य से काफी कम है. बता दे कि रिज़र्व बैंक के द्वारा सभी बैंकों के लिए बही खातों को साफ-सुथरा करने की समयसीमा मार्च, 2017 तय की गई है.