अब बर्बाद नहीं होगी किसान की मेहनत, दुनिया की सबसे बड़ी 'अनाज भंडारण योजना' लाई मोदी सरकार, 1 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट
अब बर्बाद नहीं होगी किसान की मेहनत, दुनिया की सबसे बड़ी 'अनाज भंडारण योजना' लाई मोदी सरकार, 1 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट
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नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए दुनिया की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना शुरू करने की घोषणा की है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (31 मई) को इस योजना को हरी झंडी दे दी है। एक लाख करोड़ की इस योजना से देश के प्रत्येक ब्लॉक में अनाज गोदाम बनाए जाएँगे। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन गोदामों में फसल रख कर किसान कर्ज भी ले पाएंगे।

गोदाम में अनाज रख कर्ज ले सकेंगे किसान:-

गौरतलब है कि अब तक देशभर में कुल 1450 लाख टन अनाज भंडारण की क्षमता है, किन्तु किसानों की फसल खराब होने से बचाने व उन्हें उचित मूल्य दिलाने के लिए आरम्भ की गई इस योजना के बाद 700 लाख टन भंडारण की क्षमता सहकारिता क्षेत्र में आरम्भ होगी। इसके बाद भारत की कुल अनाज भंडारण क्षमता 2150 लाख टन हो जाएगी। इससे देश में खाद्यान्न भंडारण में इजाफा होने के साथ ही अनाज के आयात में गिरावट आएगी। एक लाख करोड़ रुपए की इस योजना के तहत देश के प्रत्येक ब्लॉक में 2000 टन क्षमता वाले गोदाम खोले जाएँगे। इन गोदामों की वजह से भंडारण की कमी के कारण बर्बाद होने वाले लाखों टन अनाज को सुरक्षित रखा जा सकेगा। जिससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा। किसान इन गोदाम में अपनी फसल रखकर उसे आगे अच्छी कीमतों पर बेच सकेंगे। इतना ही नहीं, वे इन गोदामों में किसान अपनी फसल रखकर उसके मूल्य का 70 फीसदी लोन भी ले सकेंगे।

फसल की बर्बादी रुकेगी, किसान को अच्छी कीमत मिलेगी :-

बता दें कि, दुनियाभर में भारत की गिनती अनाज के सबसे बड़े उत्पादकों में होती है। विश्व स्तर पर सभी बड़े उत्पादक देशों चीन, अमेरिका, ब्राजील, रूस, अर्जेंटिना आदि के पास अपने कुल उत्पादन से ज्यादा की भंडारण क्षमता है। मगर, भारत में अन्न के भंडारण की क्षमता सालाना उत्पादन की अपेक्षा महज 47 फीसद ही है। इस कारण देश में किसानों की मेहनत और उनकी फसल की बर्बादी होती है। लेकिन, केंद्र की इस योजना के लागू होने के बाद अब ऐसा नहीं होगा। इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया है कि सरकार के इस कदम का उद्देश्य भंडारण सुविधाओं की कमी से फसल को होने वाले नुकसान से बचाना, किसानों को संकट के वक़्त अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने से रोकना, इम्पोर्ट पर निर्भरता कम करना और गाँवों में रोजगार के अवसर सृजित करना है। 

 

उन्होंने कहा कि, ज्यादा भंडारण क्षमता से किसानों के लिए परिवहन लागत में भी गिरावट आएगी और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी। साथ ही खरीद केंद्रों तक अनाज की ढुलाई और फिर गोदामों से राशन की दुकानों तक स्टॉक ले जाने में जो खर्च आता है, उसमें भी भारी गिरावट आएगी। इस योजना को सहकारिता मंत्रालय देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के कम से कम 10 चयनित जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च करेगा।

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