कृषि केसों की एक स्थायी समिति ने सेंट्रल गवर्नमेंट से सिफारिश की है कि वह कृषकों से गोबर खरीदने की योजना शुरू की जाए. लोकसभा में पेश की गई इस रिपोर्ट में कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट की गोधन न्याय योजना का भी जिक्र कर दिया गया है. गोधन न्याय योजना के तहत कांग्रेस गवर्नमेंट गाय के गोबर किसानों से एक तय कीमत पर खरीदती है.
2021-22 के लिए कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण मंत्रालय की अनुदानों की मांगों की कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट में बोला गया है, 'समिति का मानना है कि कृषकों से सीधे गोबर की खरीद से ना केवल उनकी आय में वृद्धि होगी बल्कि रोजगार के मौके भी बढ़ने लगेंगें. साथ ही छुट्टा पशुओं की परेशानी का भी निदान हो सकेगा और देश में जैविक खेती को बढ़ावा मिलने में आसानी होगी.'
सिफारिश में क्या कहा गया है?: जंहा इस बात का पता चला है कि समिति पशुपालन और डेयरी विभाग के समन्वय में किसानों से मवेशियों के गोबर की खरीद के लिए एक योजना शुरू करने की सिफारिश कर सकती है. छत्तीसगढ़ योजना का जिक्र करते हुए बताया गया है कि राज्य में 2 रुपये प्रति किग्रा खरीदते हैं. इसे वर्मीकम्पोस्ट में प्रॉसेसिंग के उपरांत वापस 8 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचते हैं. इन सिफारिशों से पहले बीजेपी सांसद पार्वतगौड़ा चंदनगौड़ा गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली समिति ने कृषि मंत्रालय के अफसर से किसानों से गोबर खरीदने के लिए एक योजना शुरू करने के लिए कहा था.
वहीँ यह भी कहा जा रहा है कि में कृषि मंत्रालय द्वारा सरेंडर की गई बड़ी राशि की ओर इशारा किया गया है जो योजनाओं के 'कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव' डाल रहा है. हम बता दें कि 'समिति ने ध्यान पाया कि विभाग ने वर्ष 2019-20 और साल 2020-21 के बीच क्रमशः 34,517.70 करोड़ रुपये और 17,849.89 करोड़ रुपये (अस्थायी) की राशि सरेंडर कर दी है. धन की इतनी बड़ी मात्रा योजनाओं के कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.'
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