अब बारिश में नहीं फिसलेगी गाड़ी, नए डिजाइन के साथ लॉन्च होंगे टायर
अब बारिश में नहीं फिसलेगी गाड़ी, नए डिजाइन के साथ लॉन्च होंगे टायर
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सड़क हादसों की कई कारणों से है। जिनमे टायर का खराब होना भी एक बड़ी वजह है। हाल में गवर्नमेंट ने MV एक्ट, यानी मोटर व्हीकल एक्ट में परिवर्तन किया है। इनमें सबसे बड़े बदलाव टायर और उनकी डिजाइन को लेकर किए जा चुके है। आज इन नए नियमों को जानते और समझते हैं...

नया नियम क्या है?: देशभर में 1 अक्टूबर 2022 से नए डिजाइन के टायर मिलने वाले है। वहीं 1 अप्रैल 2023 से सभी गाड़ियों में नए डिजाइन के टायर लगाना आवश्यक है।

नए नियम में टायर की रेटिंग की जाएगी: पेट्रोल-डीजल की बचत के हिसाब से सरकार टायरों की स्टार रेटिंग का भी एक सिस्टम लेकर आने वाली है। अभी इंडिया में बिकने वाले टायर की क्वालिटी के लिए BIS, यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड नियम हैं, लेकिन इस नियम से कस्टमर को टायर खरीदने के दौरान ऐसी जानकारी नहीं हासिल हो पाती है, जिससे उनका फायदा हो।

रेटिंग सिस्टम को ऐसे समझें: जब आप फ्रिज या AC खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले रेटिंग देख रहे है। जिससे बहुत हद तक उस प्रोडक्ट की क्वालिटी और बिजली की खपत के बारे में पता चल गया है। बिजली की खपत की रेटिंग ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी की ओर से दी जाती है। इसके साथ जिस वर्ष  रेटिंग दी गई उसका वर्ष भी लिखा रहता है। ऐसा ही रेटिंग सिस्टम नए डिजाइन के टायरों के लिए लाया जाने वाला है, जिसे कस्टमर खरीदने से पहले देख सकते है। हालांकि ये सिस्टम कैसे बनेगा और कस्टमर की मदद कैसे करेगा, इसकी जानकारी अभी नहीं दी जा सकी है।

रोलिंग रेजिस्टेंस- कोई गोल चीज जमीन पर लुढ़कती है, तो उस पर लगने वाले घर्षण यानी फ्रिक्शन को रोलिंग रेजिस्टेंस बोल रहे है। कार के केस में जो एनर्जी गाड़ी को पुल करने करने लग जाते है, उसे रोलिंग रेजिस्टेंस बोला जा रहा है। अगर रोलिंग रेजिस्टेंस कम है तो टायर को अधिक ताकत नहीं लगानी पड़ती है, इसका कारण से पेट्रोल-डीजल की खपत कम होगी और माइलेज, यानी एवरेज बढ़ने वाला है।

नए डिजाइन के टायर बनाने के लिए कंपनियां रोलिंग रेजिस्टेंस, यानी टायर के शेप, साइज और उसके मटेरियल पर काम करने वाली है, ताकि गाड़ी का रोलिंग रेजिस्टेंस कम हो जाएंगे।

वेट ग्रिप- वर्ष के बीच या कभी भी अगर सड़क गीली रहती है तो गाड़ियों के टायर फिसलने लगते हैं और रोड एक्सीडेंट बढ़ने वाले है। नए डिजाइन के टायर बनाने वाली कंपनियों को ध्यान रखना होगा कि गीली सड़क पर टायर की फिसलन का खतरा न हो।

रोलिंग साउंड एमिशन्स- गाड़ी चलाते समय कई बार टायर से कुछ आवाज आ रही है। जिससे लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं कि कहीं गाड़ी खराब तो नहीं हो रही है। इस तरीके की आवाज से रोड में शोर भी बढ़ने लगा है। इस शोर को कम करने पर भी ध्यान देना पड़ेगा। हमने अपनी खबर में AIS यानी ऑटोमोटिव इंडियन स्टैंडर्ड का जिक्र किया है, आखिर क्या है AIS जानते हैं? देश में बनने वाली गाड़ियों को इंडियन स्टैंडर्ड (IS) और AIS यानी ऑटोमोटिव इंडियन स्टैंडर्ड के नियमों को मानना पड़ेगा। व्हीकल की डिजाइन, प्रोडक्शन, मेंटेनेंस और रिकवरी को AIS ही देखता है।

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