अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने पिपावाव शिपयार्ड को खरीदने के बाद डिफेंस सेक्टर में अपनी इच्छा जाहिर की हैं। उसने पिछले कुछ हफ्तों में कई कंपनियां बनाई है और यूएवी से लेकर स्पेसक्राफ्ट और सबमरीन सिस्टम्स जैसे मिलिट्री इक्विपमेंट तक डिजाइन करने, डिवलप करने और उनको बनाने के लिए दर्जन भर लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिए है। रिलायंस डिफेंस लिमिटेड (RDL) ने हाल के दिनों में डिफेंस पर फोकस वाली 11 नई कंपनियां बनाई है। इनमें से हर कंपनी कम से कम 10,000 करोड़ रुपये के पोटेंशल मार्केट को टारगेट कर रही है।
ऐग्जिक्युटिव्स का कहना है कि इन कंपनियों को मेक इन इंडिया अभियान के तहत देश में एंट्री करने में दिलचस्पी रखने वाले फॉरन मैनुफैक्चरर्स के साथ जॉइंट वेंचर पार्टनर्स के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इनका यूज इक्विपमेंट के लाइसेंस्ड प्रॉडक्शन में भी किया जा सकता है। ग्रुप डिफेंस प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट करने के बारे में भी सोच रहा है।
अंबानी ने इशारा दे दिया है कि वह सिर्फ शिपबिल्डंग और हेलिकॉप्टर बनाने तक सीमित नहीं रहेंगे। उन्होंने मिलिट्री सिस्टम डिवेलप करने और उसका प्रॉडक्शन करने के लिए 14 नए लाइसेंस के लिए अप्लाई किया है। इसके लिए अंबानी की कंपनियों को इस साल के अंत तक मंजूरी मिल सकती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार RDL ने तो परंपरागत मार्केट से आगे निकलकर स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट तक बनाने के लिए सरकार से लाइसेंस मांगा है।