इंसानियत का तो नाम ही नहीं है
इंसानियत का तो नाम ही नहीं है
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एक शराबी को बड़ी जोर से भूख लगी। उसने एक व्यक्ति से पूछा की नास्ते की दुकान कहा है । तब एक व्यक्ति ने कहा की उस गाड़ी के पास में है । वह उस गाड़ी के पास जाता है और एक होटल से कुछ नास्ता लेकर खाता है और दस रूपये देता है। जब वह एक रुपया वापस मांगता है तो दुकानदार बोला एक रुपया छुट्टा नहीं है कल ले लेना। शराबी ने कहा में कल आ कर ले जाऊगा भूलना नहीं। इतना कह कर वह शराबी वह से चला जाता है।

जब दूसरे दिन वह शराबी वापस एक रुपया लेने जाता है तो गाड़ी दुकान से आगे पान वाले के यहाँ खड़ी रहती है।

शराबी: मेरा एक रुपया दो ,

पान वाला : भीख मांग रहा है?

शराबी : तुम्ही ने तो कहा था की कल आकर ले जाना।

पान वाला : मेने कब कहा था ?

शराबी : कल में जब नाश्ता कर के गया था और तुम्हारे पास खुल्ले नहीं थे।

पान वाला : तमाचा मारते हुए क्या तुम्हे यह नाश्ते की दुकान दिख रही है।

शराबी : साला लानत है इंसानियत का तो नाम ही नहीं है। साला एक रूपये के लिए अपना धंधा ही बदल लिया।

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