दुखद: नहीं रही स्वर कोकिला, बड़ा ही संघर्ष से भरा हुआ था उनका शुरूआती जीवन
दुखद: नहीं रही स्वर कोकिला, बड़ा ही संघर्ष से भरा हुआ था उनका शुरूआती जीवन
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बॉलीवुड में अपनी आवाज से सभी का दिल जीतने वाली स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब इस दुनिया में नहीं रहीं। उनका निधन हो गया है। आज लता मंगेशकर का निधन मुंबई के ब्रीच क्रेंडी अस्पताल में हुआ। आप सभी को बता दें कि लता मंगेशकर पिछले 27 दिनों से मुम्बई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में एडमिट थीं। जी हाँ और अस्पताल में लता का लगातार इलाज चला हालाँकि वह बच ना सकी। तो चलिए जानते है उनका अब तक का सफर....

स्वर साम्राज्ञी, बुलबुले हिंद और कोकिला जैसे सारे विशेषण जो लता मंगेशकर के लिए गढ़ागया है, वे हमेशा ही कम लगते रहे हैं। महाराष्ट्र में एक थिएटर कंपनी चलाने वाले अपने जमाने के मशहूर कलाकार दीनानाथ मंगेशकर की बड़ी बेटी लता जी का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। मधुबाला से लेकर माधुरी दीक्षित और काजोल तक हिंदी सिनेमा के स्क्रीन पर शायद ही ऐसी कोई बड़ी एक्ट्रेस रही हो जिसे लता मंगेशकर ने अपनी आवाज भी उधार दे चुकी है।

20 से ज्यादा भाषाओँ भाषाओं में लता ने 30 हजार से ज्यादा गाने गए, 1991 में ही गिनीस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने माना था कि वे विश्व भर में सबसे अधिक रिकॉर्ड की गई गायिका भी रहीं है। भजन, गजल, कव्वाली शास्त्रीय संगीत हो या फिर आम मूवीज में गानों को लता ने सबको एक जैसी महारत के साथ गाया। लता मंगेशकर की गायिका के दीवानों का आंकड़ा लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है और आधी सदी के अपने करियर में उनका कोई साथी कभी नहीं रहा।

जब भारत छोड़ो आंदोलन अपने शीर्ष पर था तब 1942 में सिर्फ 13 साल की लता को छोड़कर उनके पिता दुनिया ने दुनिया को अलविदा बोल दिया था, उनके कंधों पर पूरे परिवार का खर्च चलाने की जिम्मेदारी आ चुकी थी। उस्ताद अमान अली खान और अमानत खान से संगीत की शिक्षा लेने वाली लता को रोजी-रोटी चलाने के लिए संघर्ष के साथ अपना सफर शुरू करना पड़ा, उन्होंने 1942 में ही एक मराठी मूवी 'किती हासिल' में गाना गाकर अपने करियर की शुरूआत की लेकिन बाद में यह गाना मूवी से हटाया गया। इसके 5 वर्ष के उपरांत  भारत आजाद हुआ और लता मंगेशकर ने हिंदी मूवीज में गायन की शुरूआत की, 'आपकी सेवा में' पहली मूवी थी जिसे उन्होंने अपने गायन से सजाया लेकिन उनके गाने ने कोई खास चर्चा भी प्राप्त नहीं कर पाई है।

लता का सितारा पहली बार 1949 में चमका और ऐसा चमका कि उसकी कोई मिसाल नहीं देखने के लिए मिल रही है, इसी साल 4 मूवी रिलीज हो चुकी है 'बरसात', 'दुलारी', 'महल' और 'अंदाज'। 'महल' में उनका गाया गाना 'आएगा आने वाला आएगा' के फौरन बाद हिंदी मूवी इंडस्ट्री ने मान लिया कि यह नई आवाज बहुत दूर तक जाने वाली है, यह वह जमाना था जब हिंदी फ़िल्मी संगीत पर शमशाद बेगम, नूरजहां और जोहराबाई अंबालेवाली जैसी वजनदार आवाज वाली गायिकाओं का राज चल रहा था।

लता मंगेशकर को शुरू के सालों में बहुत संघर्ष करना पड़ा कई मूवी प्रोड्यूसरों और संगीत निर्देशकों ने यह कहकर उन्हें गाने का मौका देने से मना किया है उनकी आवाज बहुत बारीक है। ओपी नैयर को छोड़कर लता मंगेशकर ने हर बड़े संगीतकार के साथ काम किया, मदनमोहन की गजलें और सी रामचंद्र के भजन लोगों के मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ गए है। पचास के दशक में नूरजहां के पाक चले जाने के उपरांत लता मंगेशकर ने हिंदी फिल्म पार्श्वगायन में एकछत्र साम्राज्य स्थापित किया जा चुका है, कोई ऐसी गायिका कभी नहीं आई जिसने उनके के लिए कोई ठोस चुनौती पेश भी कर दी हो।

हम बता दें कि बेमिसाल और सर्वदा शीर्ष पर रहने के बावजूद लता ने बेहतरीन गायन के लिए रियाज के नियम का हमेशा ही पालन किया है, उनके साथ काम करने वाले हर संगीतकार ने यही बोला है कि वे गाने में 4 चांद लगाने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत कर रही है। लता को सबसे बड़ा अवॉर्ड तो यही मिला है कि अपने करोड़ों प्रशंसकों के मध्य उनका दर्जा एक पूजनीय हस्ती का है। बता दें कि मूवी जगत का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहब फाल्के अवॉर्ड और देश का सबसे बड़ा सम्मान 'भारत रत्न' लता मंगेशकर को मिल गया है।

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